Prem Rupchandani  
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बेबाक
Joined 16 December 2017


बेबाक
Joined 16 December 2017
5 HOURS AGO

मैं जिसे भी देखता हूं,
दो बार देखता हूं,
एक बार अपनी नजरों से,
और एक बार उनकी नजरों से ।

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5 HOURS AGO

तुम पहचानते हो मुझे,
बस इतनी बात काफी है,
दिल बहलाने को !

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12 HOURS AGO

I am into the state of mind,
where I only allow my philosophy
to be a greatest concern in my life and only this way I can live and enjoy fully.

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YESTERDAY AT 20:42

मैं खारिज़ करता हूं तुम्हारी कही हर एक बात को,
मुझे, मेरे अनुभव को आगे रखने दो,

तुम ज़रा अकेला छोड़ दो आसमां में हमें,
इन ऊंचाइयों का स्वाद ज़रा मुझे भी चखने दो,

थक के, टूट के, हार के, बिखर जाने दो,
तुम मुझे एक बार मेरी लिखी कहानी भी कहने दो,

मुझे फिक्र है मेरी, और थोड़ी सी तुम्हारी भी
कुछ वक्त के लिए ही सही मुझे,
बस झील के किनारे किनारे ही बहने दो ।

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YESTERDAY AT 16:36

जो तुम सोच रहे हो,
की मैं सोच रहा हूं,
की जो मैं हूं,
मैं उससे काफी अलग हूं ।

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YESTERDAY AT 2:52

मैंने अपनी जुबान से की है तारीफ,
और अपनी जुबान से दिए हैं जवाब,

किसी को कहने के लिए कुछ भी हो,
एक शब्द भी मैं कहीं से उधार नहीं लाया ।

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6 MAY AT 20:48

सिक्का नहीं,
जब भी चलेगा,
अपना चक्का चलेगा ।

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6 MAY AT 13:20

जिस चीज़ से मैं बंधा हुआ हूं,
उस से तुम भी बंधे हुए होने चाहिए,

संविधान में, हम सबकी
सुरक्षा के लिए प्रावधान होने चाहिए,

जब हम नावाकिफ है की किसे मत देना चाहिए,
मताधिकार की उम्र 25 से भी ज्यादा होनी चाहिए,

पढ़ाई लिखाई में फसे हैं बच्चें,
अब भी उन्हें पढ़ना है,
मेरे ख्याल से तो कमाने की
सही उम्र पंद्रह होनी चाहिए ।

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6 MAY AT 1:34

मैं बेचता हूं अजीब अजीब किस्म के नजरिये,
तुम कुछ खरीदना चाहो तो कहो,

या तो मंदिर के अंदर जा कर मांग लो कुछ
या तो एक नंबर का पागल बनना हो तो कहो !

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5 MAY AT 19:29

तुम जीते,
तो समंदर पी जाओगे,
और अगर हार गए,
तो शराब तो है ही ।

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