PREM JANGIR   (पथ भुला परदेशी)
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ना मैं दिल का मरीज ना मैं इश्क का इंजेक्शन
Joined 17 September 2018


ना मैं दिल का मरीज ना मैं इश्क का इंजेक्शन
Joined 17 September 2018
15 MAR AT 20:14

दिमाग भी अजीब आदमी है । पहले समस्या का समाधान खोजने के लिए सोचता है, फिर समाधान की वैधता के पक्ष में प्रमाण गढ़ने के लिए सोचता है । - लेखक - स्वप्निल जैन
प्रकाशन - पंक्ति प्रकाशन

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25 SEP 2024 AT 20:23

कुछ देर बैठ गया मैं भी रईसों की महफिल में
ऊँचे ऊँचे ख़्वाबों नें मेरा चाल चलन बिगाड़ दिया
©दीपक"तड़पती कलम"

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21 SEP 2024 AT 18:56

जहर भी फेल है
कुछ लोगों की जुबान के आगे

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20 SEP 2024 AT 20:04

तुम्हें बराबरी क्यों करनी है?
तुम
आगे भी जा सकते हो?

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18 SEP 2024 AT 21:09

वह चांद हंसता था
उसकी चांदनी में भी दाग था

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22 AUG 2024 AT 20:32

देश कागज पर बना नक्शा नहीं होता
कि एक हिस्से के फट जाने पर
बाकी हिस्से उसी तरह साबुत बने रहें
और नदियां, पर्वत, शहर, गांव
वैसे ही अपनी-अपनी जगह दिखें
अनमने रहें।

यदि तुम यह नहीं मानते
तो मुझे तुम्हारे साथ नहीं रहना है।

- सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

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31 MAY 2024 AT 13:24

पादरू री धरती पे जन्म हुओ
नाम चंद्रपाल सिंह कहलायो ।

मीठी बोली सूं आपरौ नाम
जग में स़ावो करियो।।

काले कोट रे काम सूं दुनिया में शांत रूप दिखायो।
एक नी हरेक रौ मन भावन हित प्रेम बनायों।।

कैवे प्रेम जांगिड़ बडे हरख सूं।
चंद्र पाल सिंह धोरा कोटरी री हैं अनुखी परख।।

मई म्हीने री तारिख इकतीस रो।
दिन बड़ो सुवानो है , जनमदिन वकील सा रो।

प्रेम भाव रा हेताळू है सबरे आंखो रा तारा है।

पादरू री धरती रे भविष्य रा मतवाला है।

दुनिया मे सावा हैं प्रेम भाव रि गिनीज़ मे नाम हैं इण रौ।
मधु भाषी ,और प्रेम भाव आप री ओळखण है।
बोलन री कला हैं दिळ मे कुछ करवा रो उमंग हैं।।
‌‌ © PREM JANGIR

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14 MAR 2024 AT 16:37

जब नियति पहले से तय है, तो ईश्वर
जिंदगी को जलेबी सा घुमा-फिरा के बहुत सारे कन्फ्यूजन के साथ कॉम्प्लीकेशन क्या मजे लेने के लिए क्रिएट करते हैं...?

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9 FEB 2024 AT 23:02

मैदान छोड़कर भाग जाए हम वो खिलाड़ी नहीं
आपदा हैं नई नई हम लड़े ना वो अनाड़ी नहीं
रात दिन सुख, दुःख सब छोड़ , गौ सेवा हमने ठाना
छोड़ सारे मकसद अब तुझे हराना है ए जीव भक्षक
रहकर बीमारियों की महफिल में
रसायन के जाम लेते हैं
हम गौ रक्षक हैं गर्व से कहे हम गौ रक्षक हैं
नींद चहन सब त्यागें
हो संकट कैसा हम ना भागे
सुनी छोटी सी छींक गो माता की गहरी नींद से जागे
राजेंद्र, अचला, विक्रम और भगजी, एमपी दिल में गो सेवा लागे।
देख मौत के तमाशे दिल भांपे ,रख कर जिगर हाथ ना कांपे
मैदान छोड़कर भाग जाए हम वो खिलाड़ी नहीं
आपदा हैं नई नई हम लड़े ना वो अनाड़ी नहीं।।
हम सब एक ही कहना , गो सेवा है परम धर्म
दया मया मोह ममता है करुणा संगम
धन यश कृति देती करती दृश्य बिहंगम
गौ रक्षा ही हरदम हर मानव का काम
है घर जिसके बनाती माता बिगड़े काम
धन्य धन्य सेवक गौ सेवा जो करता है
प्रसन्न सदा धन धान्य भरा वो रहता है

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15 JAN 2024 AT 22:46

मामा की भांजी छः साल की हो गईं है,
थोड़ी नहीं बहुत समझदार हो गई है।।

पूछने पर किस को करती हो प्यार ज्यादा
कहती मम्मी और पापा ,और आपको भी ।।
देखा बातों को घुमाना सीख गईं है।।
मेरी सरोज अब छः साल की हो गई है।।

होती जब हम दोनों में मीठी नोकझोंक,
देखती ऐसे तिरझी नजरों से डांट लगाती बड़ी जोरों से
मामा करो बंद ये सब लड़ाई
मेरी सरोज अब छः साल की हो गईं है।।

हर बार आते जाते स्कूल, करती बस एक ही सवाल
मामा आप कुछ दिलवाते नहीं
हर बार एक नई फरमाइश करती ।
ख्वाइशों की फुलझड़ी हो गई है।
हमारी लाडो अब छः साल की हो गई है।।

लक्षु,और कोमल को करती प्यार बेइंतहां
हर चीज को करती साझा उसके साथ।
ना डांटती ना मारती बस डांट के कर देती बात बराबर।
बरसाती उस पर लाड दुलार एक मां की तरह ।।
दिना तेरी लाडो अब छः साल की हो गई है।।

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