तुमको याद करने में अब ये जीवन बिताना है,
अकेले मैं रहूंगी तो अकड़ता क्यों ज़माना है,
किसी के दिल से मैं खेलूं ऐसा दिन ही क्यों आए,
किसी के जज़्बात संग खेलूं वो नौबत ही क्यों आए?
एक हां भर कह देने से कोई जीवन में आयेगा,
वो कुछ रंग तो चाहेगा, संग कई उम्मीद लाएगा!!
उसको कैसे ये समझाएं कि दिल पा चुका किनारा है,
मोहब्बत के सफर में कोई और हमसफर हमारा है।
जमाने के बंधन में अगर हम बंध भी जाएंगे,
सात जन्मों के बंधन को कैसे झूठा निभाएंगे?
कैसे हम खुद को तसल्ली तब दे पाएंगे??
निभाएंगे सभी रस्में मगर दिल दे न पाएंगें!
होगा तुमको भी अचरज संग जीवन कैसे बीतेगा?
जड़ हीन तरुवर को कोई जीवनभर कैसे सींचेगा?-
जो जितना जाने कम ही पाए 😊
जब विश्व का मैं विकास आधा हूं,
तब क्यों मानवता लांघती संग मेरे मर्यादा है,
हैं वो सब मौन जिनका राज चलता है,
राजनीति उम्दा है किसका अधिकार चलता है?
कागजी कार्यवाही और कानूनों का जुमला,
ऊंचे – ऊंचे हाथ और हैवान दूध का धुला!!
फिर उम्र देश की सतहत्तर हो गई है!!
बेहतर का पता नहीं पर हालत बत्तर हो गई है !
स्वतंत्र हुए हैं कागज़ों पर सोच बंधन में है!
सांप को है फर्क क्या अगर वो चंदन में है?
यहां नैतिकता शामिल है पाठ्यक्रम में !!
पर सीख पाएंगे शायद ही कई जन्म में।
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कुछ खुद गलतियां करके फिर कुछ मशवरे लेकर के,
नज़रिया देखकर उनका अचरज है कि सब हकीकत है,
बड़े मासूम रह जाते अगर न ये सब गलतियां करते,
उम्र गलतफहमी में कट जाती कि अपने हैं तो गनीमत है।।-
आज चांद देखने में न जाने क्यों आंखें नम है,
गर्व बहुत लेकिन शब्दों में लिख पाने में कम है,
प्रतिबद्ध, समर्पण और मेहनत से देखो तो,
करोड़ों भारतीय कहते आज चांद पर हम हैं।।
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ना बंधन है कोई न कोई वादा है,
तू फिर भी मेरा खास है!
ना चाहत है कोई न कोई इरादा है,
तू फिर भी मेरा खास है!
ना कोई कम है न कोई ज्यादा है,
तू फिर भी मेरा खास है!
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मन है व्यथित ख्यालों से तेरे और तू ही इनका आराम है,
मेरी धड़कन–धड़कन में शामिल एक तेरा ही तो नाम है।
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एक धड़कन है सीने में जो नाम तुम्हारा लेती है,
जितनी बारी दिल धड़के ये नाम तुम्हारा लेती है,
बात न हो जब तुमसे हिचकी नाम तुम्हारा लेती है,
मेरे घर की तो हर खिड़की नाम तुम्हारा लेती है,
संगीत सुनूं मैं कोई भी धुन नाम तुम्हारा लेती है,
दिल की धड़कन हर दफा बुन नाम तुम्हारा लेती है,
दिल की चौखट पर हर आहट नाम तुम्हारा लेती है,
मेरे दिल की हर एक चाहत नाम तुम्हारा लेती है।
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तुम मेरे हो ये हकीकत कम ख़्वाब ज्यादा है,
मौसम तो सर्द है ! पर यार शबाब ज्यादा है ।-
खुशियां भरी दिल में तो मुस्कुराओ ना,
चाहते हो चांद छूना तो छूकर आओ ना,
कर लो पूरी हर एक वो तमन्ना,
जो कहती है मुझे भी आजमाओ ना...।।-
ना यूं दोबारा - तिबारा पुकारो उसे,
चांद - तारों में ही बस निहारो उसे,
कि लौट आते अगर बुलाने से भी,
न रात - दिन यूंही पुकारो उसे...।
सोचो ख़्वाब में थे और वो टूट गया,
कोई अपना था और हमसे छूट गया,
एक तोहफ़ा मिला था जो प्यारा सा था,
बेशकीमती था लेकिन वो टूट गया...।।
वक़्त ना जायां करो न पुकारो उसे,
मन से ही मन में अब बस उतारो उसे,
गलती से ना भुलाए , भुलाने से भी,
न रात - दिन यूंही बस पुकारो उसे...।।।-