Preeti Shukla   (preetii_shukla)
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खुद के बारे में क्या बताएं 😊
जो जितना जाने कम ही पाए 😊
Joined 6 July 2019


खुद के बारे में क्या बताएं 😊
जो जितना जाने कम ही पाए 😊
Joined 6 July 2019
18 AUG 2024 AT 9:50


जब विश्व का मैं विकास आधा हूं,
तब क्यों मानवता लांघती संग मेरे मर्यादा है,
हैं वो सब मौन जिनका राज चलता है,
राजनीति उम्दा है किसका अधिकार चलता है?
कागजी कार्यवाही और कानूनों का जुमला,
ऊंचे – ऊंचे हाथ और हैवान दूध का धुला!!

फिर उम्र देश की सतहत्तर हो गई है!!
बेहतर का पता नहीं पर हालत बत्तर हो गई है !
स्वतंत्र हुए हैं कागज़ों पर सोच बंधन में है!
सांप को है फर्क क्या अगर वो चंदन में है?
यहां नैतिकता शामिल है पाठ्यक्रम में !!
पर सीख पाएंगे शायद ही कई जन्म में।


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7 JUL 2024 AT 12:05

कुछ खुद गलतियां करके फिर कुछ मशवरे लेकर के,
नज़रिया देखकर उनका अचरज है पर सब हकीकत है,
बड़े मासूम रह जाते अगर न ये सब गलतियां करते,
उम्र गलतफहमी में कट जाती कि अपने हैं तो गनीमत है।।

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23 AUG 2023 AT 19:38

आज चांद देखने में न जाने क्यों आंखें नम है,
गर्व बहुत लेकिन शब्दों में लिख पाने में कम है,
प्रतिबद्ध, समर्पण और मेहनत से देखो तो,
करोड़ों भारतीय कहते आज चांद पर हम हैं।।

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25 JUN 2023 AT 15:15

ना बंधन है कोई न कोई वादा है,
तू फिर भी मेरा खास है!
ना चाहत है कोई न कोई इरादा है,
तू फिर भी मेरा खास है!
ना कोई कम है न कोई ज्यादा है,
तू फिर भी मेरा खास है!

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5 JUN 2023 AT 9:58


मन है व्यथित ख्यालों से तेरे और तू ही इनका आराम है,
मेरी धड़कन–धड़कन में शामिल एक तेरा ही तो नाम है।

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23 NOV 2022 AT 11:40

एक धड़कन है सीने में जो नाम तुम्हारा लेती है,
जितनी बारी दिल धड़के ये नाम तुम्हारा लेती है,

बात न हो जब तुमसे हिचकी नाम तुम्हारा लेती है,
मेरे घर की तो हर खिड़की नाम तुम्हारा लेती है,

संगीत सुनूं मैं कोई भी धुन नाम तुम्हारा लेती है,
दिल की धड़कन हर दफा बुन नाम तुम्हारा लेती है,

दिल की चौखट पर हर आहट नाम तुम्हारा लेती है,
मेरे दिल की हर एक चाहत नाम तुम्हारा लेती है।



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22 NOV 2022 AT 11:40

तुम मेरे हो ये हकीकत कम ख़्वाब ज्यादा है,
मौसम तो सर्द है ! पर यार शबाब ज्यादा है ।

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22 NOV 2022 AT 11:07

खुशियां भरी दिल में तो मुस्कुराओ ना,
चाहते हो चांद छूना तो छूकर आओ ना,
कर लो पूरी हर एक वो तमन्ना,
जो कहती है मुझे भी आजमाओ ना...।।

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14 MAR 2021 AT 11:18

यदि सोचूं मैं हूं ही राही,
राहगीर भी मैं ही हूं,
यदि सोचूं तो मैं हूं गरीब,
और अमीर भी मैं ही हूं,
सही गलत सब मैं ही हूं,
मैं हूं निज विकास का कारण,
रुके विकास का कारण मैं ही हूं।
मैं हूं प्रकाश की असंख्य किरण,
अंधियारे का उच्चारण मैं ही हूं।
मैं ही हूं सर्वथा मंजिल अपनी ,
उन बढ़ते कदमों को गति मैं ही हूं।

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22 FEB 2021 AT 13:49

चलो चलें कहीं जहां हम; मैं और तुम हो जाएं!
चलो चलें कहीं जहां तुम गीत और मैं धुन हो जाएं!
चलो चलें कहीं जहां हम कहीं गुम हो जाएं।।

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