उस रात समंदर ने उसकी लाश को ज़मीं को सौंप दिया और ज़मीं ने उस को बीज बना दिया कि दरिंदगी के निशान बह जाएं कहीं और ले सके वो पुनर्जन्म , इस बार एक बेहतर जन्म....।
मैं गांव की पगडंडियों से जब भी गुजरूंगा,तुम्हें आवाज़ दूंगा। ठीक वैसे ही जैसे खोया बच्चा आवाज देता है ताई अम्मा,बाबा को। जैसे बिछड़े बछड़े को उसकी मां ढूंढती है, उतनी ही व्याकुलता से मै तुम्हे आवाज दूंगा, उन्ही पंगडंडियों से गुजरते हुए। कि शायद गांव से पनपा,शहर में बिछड़ा प्यार किसी दिन इन्हीं पगडंडियों पर मिल जाए...।।