चेहरे पे मुस्कान बनाएं,
हर काम में हाथ बढ़ाए।
भाई का सहारा बहन की जान,
कहां चला गया वो स्वावलंबी इन्सान।
सब का हाथ पकड़ उजाले की ओर चलाया,
अपने बच्चों को उड़ना कहा सिखा पाया।
हर दिल की धड़कन,
सब की आंखों की चमकन।
घर, नौकरी, रिशतेदारी सबको भरपूर निभाया।
अपनों के लिए जीता जो,
अपनों को कैसे छोड़ पाया।
वो गया यूं अचानक,
मन सबका भारी कर गया।
उनकी कमी के इस एहसास को,
हर दिन ने हरा कर दिया।
मायूस है सब ही के मन,
उपरि हिम्मत दिखा रहे।
अब जीना है उन बिन,
हर महफिल में वही याद आ रहे।
-