Preeti Mathur  
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Joined 1 April 2018


Joined 1 April 2018
3 AUG 2023 AT 14:46

सुन पड़े हाथ...मन में उठा एक अजीब सा जज़्बात,
दर्द उठा सीने में जैसे टुकड़े हुए हज़ार।
कम वक्त में ही अपनेपन का घूला ऐसा एहसास,
सुन आपके जाने कि बात घुटने लगीं सांस।
लाड़-प्यार, आदर-सत्कार से है सबका दिल जीता,
अपनेपन कि इस चादर में घर-परिवार, दोस्त-रिश्तेदार सब ही को है समेटा।
सब को पैरों पर उठ खड़ा होना है सिखाया,
इस दुनिया में कैसे जीना है ये पाठ हमेशा अपने बच्चों को पढ़ाया।
जाते-जाते भी हर किसी के दिल में घर कर गए,
कैसे जीना है आप बिन ये पाठ क्यों नहीं सिखा गए।
अपनेपन का मोह सब ही के दिलों में है छोड़ा,
यूं अचानक आपने सबसे क्यों मुंह मोड़ा?
तेज़ भरा आपका वो रूप,
रह-रह नज़र के सामने आता है।
उस पार जा आत्मा आपकी सुकुन में हो,
दिल बस यही कामना करता है।

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3 APR 2022 AT 9:58

आदत से मजबूर है,
भरोसे की डोर पर चलती ये जरूर है।
हर राह आसान करना चाहें,
बस अपनों को हंसता खिलखिलाता देख पाए।
ख्वाइश बस छोटी सी खुशीयों की करतीं है,
अपनों की आंखों की चमक देख अपना मन भर लेती है।
बोलती नहीं ज्यादा दर्द अपने सारे मन में रखतीं है,
अपनों के लिए अपने हर दर्द पर एक मुस्कान ओढ़ लेती है।

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27 SEP 2021 AT 21:37

चेहरे पे मुस्कान बनाएं,
हर काम में हाथ बढ़ाए।
भाई का सहारा बहन की जान,
कहां चला गया वो स्वावलंबी इन्सान।
सब का हाथ पकड़ उजाले की ओर चलाया,
अपने बच्चों को उड़ना कहा सिखा पाया।
हर दिल की धड़कन,
सब की आंखों की चमकन।
घर, नौकरी, रिशतेदारी सबको भरपूर निभाया।
अपनों के लिए जीता जो,
अपनों को कैसे छोड़ पाया।
वो गया यूं अचानक,
मन सबका भारी कर गया।
उनकी कमी के इस एहसास को,
हर दिन ने हरा कर दिया।
मायूस है सब ही के मन,
उपरि हिम्मत दिखा रहे।
अब जीना है उन बिन,
हर महफिल में वही याद आ रहे।


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19 MAR 2021 AT 10:04

लोगों से सिर्फ सुना था कि आपको
हमारी शादी का बड़ा उमाव था,
घर में हर खुशी को बड़े चाव से जीना
ऐसा आपका व्यक्तित्व था।
हमारे इस बड़े त्यौहार को जोरों शोरों से मनाना
इस बात में आपका दिल बड़ा था,
लाड़ लड़ाना कोई आपसे सीखे
हर अनजान भी आपके लिए अपना-सा था।
आपका हाथ अपने सिर फिरा सकी आपकी उस मुस्कान को
अपने सिर ओढ़ सकी वो पावन पल बड़ा सुहाना था,
दिल से याद करते हैं सभी
हम सबके दिलों में आपका ठिकाना रहा।

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3 SEP 2020 AT 0:36

तु आया हमारे द्वार मन आनंदमय हुआ है, तेरी सेवा कर घर आंगन में हर्षोल्लास छाया है।
लौट चला तु अपने देश मन तेरी याद में रोया है, अब अगले बरस का है इंतजार दिल
में उम्मीद और आंखों में तेरे दर्शन की आस ने मन को सुकून पहुंचाया है।

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9 AUG 2020 AT 8:47

किए हैं व्रत हजारों कई पर आज मुझसे तेरा नाम जुड़ा है,
अब हर प्रार्थना में तेरा नाम सदा हैं।

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6 AUG 2020 AT 18:09

इतना वक़्त कैसे बीत गया पता ही नहीं चला,
तु दुर है पर दिल के इतने करीब हो गया।
कहने को ज़्यादा बातें नहीं करने को मुलाकातें नहीं,
एक दुजे को कितना ही देख मन भरता नहीं।
तुझे सोच दिन मेरा मुस्कुराता,
रात तेरे ख्वाबों में खो जाता।
मेरी हर मुस्कान में तेरा नाम छुपा है,
हर ख्याल में तु बसा है। 💕

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16 JUN 2020 AT 0:38

की ये जिंदगी कभी एक दौड़ ना बन जाए
इस खूबसूरत सी दुनिया को लोगों की नजर ना लग जाएं

इस करोड़ों की भीड़ में अपनों के चेहरों को ना भुले जाएं
बनावटी मुखौटो की पीछे हम अपने हर दर्द को ना छुपाएं

ये की जो ना चाहा था

बस उस जिंदगी की सच्चाई की
दलदल में हम धंसते चले गए

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15 JUN 2020 AT 23:56

Love

being selfless

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10 JUN 2020 AT 21:54

It has been so long since, I stepped out.
Walked on those winter mornings, to which I felt sprout.
Ride out to a place where I belong,
wearing the confidence that sunshowers along.
Meet up with ones who are mine,
hug them till all of are faces shine.
Work like all of my dreams have come true,
And it's the only job I have left do.
Time spent with you counts to be more less,
wanting to step out with you is the only thought I stress.

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