Tera intezar....
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ख़ुद पर हँसना है या फिर हँसना हैं अपनी इस मज़बूरी पर?
कोसो दूर लगता है अब वो घर, जो था थोड़ी दूरी पर।-
हर दिन, हर लम्हें यादगार बनाये जाते है,
यार जब तुझ जैसे हो, तो कहाँ भुलाये जाते है।
-©अल्हड़ प्रीति-
इस जन्म में मुकम्मल नहीं तो न सही...
हम अगले जन्म में इक मुकम्मल इश्क़ फरमाएंगे।-
न जाने इतनी खूबसूरती कहां से लाती है,
हर इक लिबास में बस कहर ढाती है,
सुंदरता उसकी,उसकी रूह से आती हैं,
साज-श्रृंगार तो बाद कि बात हैं ...
उसकी मुस्कान ही सोलह श्रृंगार बन जाती हैं।-
हमें भी रख लेते वहीं किसी कोने में...
हमसे जुड़े शिकवे भी तो रखे ही हैं...।-
हर पल, आने वाले कल का इंतज़ार हैं,
हाँ, ये कुछ और नही शायद प्यार हैं,
उसके-मेरे बीच अब तक रहा तकरार है
उनसे अब तक हमने नही किया इज़हार हैं।-
खूबसूरत शामें तो अब भी होती है मेरे शहर में,
बस मेरे इस शहर से वो कुछ रौनके ले गया हैं।
- "अल्हड़" प्रीति-
And yes! I am a failure ...
and I did not learn anything from my mistake,
this is the biggest mistake of my life.-