होठों पे जो बात कभी आ ना सकी,
आंखों में वो क्यों झलकने लगी?
मेरी खामोशी भी चीखती है,
ये बात, अब जा के मैं समझने लगी-
priti_jha310
कभी कभी मन इस तरह टूटता है की,
किसी को कुछ बोलने का भी मन नहीं करता
बस आप ख़ामोश हो जाते।-
बेड़ियां बांध कर उड़ाने नहीं भरी जाती
समाज की बेड़ियां हो या लोहे की
जो बेड़ियां बाधते है,
वो खोलते नहीं उसे खुद तोड़ना पड़ता है-
खुद हैरान हूं मैं आपने सब्र का पैमाना देख कर,
मैं गिरा, टूटा , खुद संभल गया
कुछ सालों में कितना कुछ, मुझ में बदल गया।-
आज हवाओं ने अपना रुख़ बदला हैं।
क्या पता ?
कल हाथों की लकीरें तकदीर बदले।।-
सुना तो होगा ही,
समुंद्र के एक लेहेर का केहेर भी,
पूरे शहर का वजूद मिटाने के लिए काफ़ी है।
तो कृप्या,
मेरी ख़ामोशी को मेरी कमज़ोरी ना समझे🙏🙂-
कुछ कदम ही तो अभी चली थी, रास्ते का मूड जाना जरूरी था क्या ?
हकीकत में दिखाकर सपने, आप का यू सपना बन जाना जरूरी था क्या ?
प्यार खुद से ज्यादा करते थे, बीच भ्वर में यूं छोड़ जाना जरूरी था क्या ?-
हर वो आदमी गुनहगार है जो ,
हर रोज आपने ख्वाहिशों का कत्ल करता है।
हां कबूल करती हूं मैं भी जुर्म अपना...
अनगिनत ख्वाहिशों का कत्ल किया है।-
बहुत कम लोग है जो मुझे भाते हैं
उसमे भी बहुत कम है जो मुझे समझ पाते है-
सब कुछ ठीक है।
ना बुरा लग रहा है , ना कुछ अच्छा लग रहा है
सब कुछ ठीक है।
ना रोना आ रहा है , ना हंसी आ रही है
बस सब कुछ ठीक है
पता नहीं,"सब कुछ ठीक होना भी ठीक है कि नहीं"-