Preeti Gautam   (Preeti gtm✍️)
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Joined 22 May 2021


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Joined 22 May 2021
18 JAN AT 15:49


अपनी जिंदगी के फैसले अपनी परिस्थिति और अपने समय को देखकर लेने चाहिए, दुनियां के कहने से नहीं।

क्योंकि जिस परिस्थिति से आप गुजरे हो या गुजरने वाले हो वो सब आपको ही पता है दुनियां को नहीं ।
दुनियां सिर्फ ज्ञान देती है साथ नहीं।

🙏🙏





















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3 JUN 2024 AT 14:38

//अदाएं दिलरुबा की//

वो मीठी तबस्सुम लबो की , सैन करते हुए नैन।
अदाएं दिलरुबा की मेरे दिल का ले गयी चैन।

खुशी मे झूमती चंचल- चपल जैसे झूमती लताएँ।
इठलाती बलखाती मोरनी, मृग नयनी की अदाएं।

हुई रुबरु इन निगाहों के बस खयालों में गुजरे रैन।
अदाएं दिलरुबा की मेरे दिल का ले गयी चैन ।

काली घटा से गेसुओं से जब लगता गुलचा गालो पे।
निहायत खूबसूरती देख के छिन जाए करार दिलवालों के।

मधु रस घुल जाता कानों में जब मिश्री सी बोले बैन।
अदाएं दिलरुबा की मेरे दिल का ले गयी चैन।

वो मीठी तबस्सुम लबो की , सैन करते हुए नैन।
अदाएं दिलरुबा की मेरे दिल का ले गयी चैन ।

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3 JUN 2024 AT 11:34

ही अच्छी होती है जब हम कुछ मन की बात किसी से कहना चाहते है और वो उसको अपने तरीके से लेता है बात को समझता नहीं है ,
फिर उसको कुछ बताने से अधिक अच्छा है खामोश रहकर अच्छे काम करते रहना और अपने आप को प्रेरित करना ।

परन्तु कभी कभी खामोशी अच्छी नहीं होती है ।जब कुछ गलत हुआ हो और हमें सच सामने लाने के बजाय, गलत का विरोध करने के बजाय खामोश रहते है तो वहां खामोशी गलत है ।

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2 JUN 2024 AT 23:12

हम तो है नन्हे से प्राणी ,नाजुक, नादान परिंदे।
उन्मुक्त पंछी, पेड़ों का बसेरा फिर भी रोंद देते घरौंदे।
हमें बनाकर कैदी पिंजरे का क्यों होते नहीं शर्मिंदे ।
हमसे किसको क्या बैर भला क्यों नोंच लेते है दरिंदे।

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30 MAY 2024 AT 15:00

अधेड़ उम्र का आदमी जिसका एक पैर कटा हुआ था नल पर रोज अपने पीने के लिए पानी भरने आता था। उसको देखकर मुकेश ने सोनू 'जो पास मे किराने की दुकान लगाता है'से पूछा "ये कौन है इस हालत मे पानी भरने क्यों आता है इसके घर के सब लोग कहा गये।"
सोनू ने कहा " ये बल्लू है , इसके पत्नी ,तीन बच्चे भरा परिवार था।पत्नी कमाकर लाती अपने बच्चों का ,इसका सबका पालन करती थी ।इसने किसी की कभी कोई जिम्मेदारी नहीं उठाई बल्कि रोज मार पीट करता था सबके साथ।कई बार तो इतना मारा की पत्नी के शरीर पर बहुत घाव हो गये मरते मरते बची। एक दिन बहुत लड़ाई हुई और इसने पत्नी और बच्चों को घर से बाहर निकाल दिया ।उनको वापस लाने की सोचा तक नहीं ।"
एक दिन गाड़ी से कही जा रहा था दुर्घटना में इसका पैर कट गया। यह शायद अपने गुनाहों की सजा भुगत रहा है इसी जन्म में ।
मुकेश बोला सही कहा तुमने ईश्वर ने इसको अपने गुनाहों की सजा दी है।

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29 MAY 2024 AT 16:46

ख़ुशक़िस्मत हो तुम जो हम तुमपे फ़िदा हो गए ।

वर्ना जाने कितने दरीचा के बाहर से विदा हो गए ।

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29 MAY 2024 AT 16:35

दुनियां की तमाम बंदिशों को भी पार करके आते है।

गुल खिलता दिल का जुन्हाई में इसलिए चांद का दीदार करने आते है।

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29 MAY 2024 AT 15:25

कोई मामूली फूल नहीं
ये आशिकों का गहना है।
कूद गये मोहब्बत की सरिता में
जिसने भी ये पहना है।

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29 MAY 2024 AT 14:17

अंकुर जब भी वृद्धाश्रम जाता सभी को खाना, कपड़े बांटता रहता। उनकी सभी ज़रूरतें पूरी करता था।
एक दिन वह वृद्धाश्रम में बुजुर्ग महिलाओं के साथ बैठ के बातें कर रहा था, उनका हाल पूछ रहा था तभी किसी माँ ने अंकुर से कहा "बेटा तुम हमारा कितना ध्यान रखते हो।हमारा बेटा हो तुम ।तुम्हारी माँ भी कितनी खुश होगी तुम्हारे साथ।"
तब उसकी आँखों मे आंसू आ गये और रुंधे हुए गले से बोला "मेरी माँ नहीं है अब इस दुनियां में, उसकी मौत का जिम्मेदार मैं हूं ।मैं जब शहर पैसे कमाने आ गया था ।किसी दिन वो बीमार हुई और मुझे घर आने को कहा। तब मैने उसकी बात को ज्यादा गंभीर नहीं लिया और काम छोड़ के माँ के पास नहीं आया। मेरी माँ इलाज के अभाव मे स्वर्ग सिधार गयी।"
अंकुर ने अपने आंसु पोंछे और बोला "आज भी मैं अपनी गलती का प्रायश्चित कर रहा हूं ।आप सब में अपनी माँ को देखता हूं ।"

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29 MAY 2024 AT 12:35

थक सी गई थी जिंदगी की गर्दिशों से,हर तरफ मतलब का शौर मिला।
जो सुकूँ मिला रब की इबादत में ,वो जहाँ में न कही ओर मिला।


खूब दौलत देखी और शोहरत पाई, पर मन को ना कही आराम मिला।
जो मन का प्रसून इसके दर पे खिला, वो ना किसी भी बागान में खिला।


रुसवाई मिली और तोहमत मिली, सिवा रब के ना सच्चा प्रेम मिला।
मैं कहती उसे तकलीफ़- ए -हयात ,वो सुनता सभी शिकवा गिला।


जीवन नैया फंसी जब गिर्दाब में,सिवा रब के ना दूजा कोई छोर मिला।
जो सुकूँ मिला रब की इबादत में, वो जहाँ में न कही ओर मिला।

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