अब ख्वाहिशें सारी मर-सी गई हैं,
लोग पास होकर भी अजनबी-से लगते हैं।
लगता है रूहें थम-सी गई हैं,
बस बेजान कुछ पुतले बाकी हैं।
नज़रों में अब रौनक नहीं,
देखती हूँ तो निगाहें भर-सी जाती हैं।
हर ओर दिखावे की बहार-सी है शायद,
जहाँ जज़्बातों का कोई मोल ही नहीं।
प्यार... जिसे सब मोहब्बत कहते हैं,
अब वो बस लफ़्ज़ों में रह गया है।
हकीकत में तो हर रिश्ता,
बस मतलब और जरूरतों में सिमट गया है।
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Suna hai bada sakht pehra hai dil par ab unke,
Lagta hai woh bhi mohabbat ke raste se guzre hain.
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Uski gali se guzarti hoon,
Toh nazar usko dhoondhne lagti hai...
Dil ki dhadkane tez ho jaati hain,
Jab uske jaise kapdon pe nazar padti hai.
Hawa bhi uski yaadon se bheeg jaati hai,
Har mod pe uski muskaan dikhaayi deti hai.
Na jaane kyun, dil yunhi behka rehta hai,
Jahan wo rehta tha, wahan dil reh jaata hai...
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कहना नहीं था, वो कह गए हैं
जो बात थी, वो छुपा गए हैं
जो ख़ामोशी से दिल में आए,
वो शोर मचाकर चले गए हैं।
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Tum use qaid karne ki baat karte ho,
Soch lo... woh aasmaan ke panchhi hai.
Agar qaid ho gaye, to jeena bhool jaayenge,
Tumhaare liye khud ka wajood kho denge.
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Maa
Woh mera chehra bakhoobi padh leti hai,
Bade saleeqe se chhupane padte hain zakhm saare.
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"चाँद"
आज चाँद में एक नूर था,
आसमान में वो अकेला था।
पर बादलों की सजावट थी,
एक तारे का टीका लगा था।
हवाओं की सदाएँ थीं,
और अंधेरे का साया था।
एक सन्नाटे का शोर था,
कुदरत की दुआओं के साथ,
वो खुद में ही रोशन था।
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"तलाश"
जब हमें धोखा मिला,
हम प्यार की तलाश में थे।
और जब प्यार मिला,
तो किसी के धोखे में जी रहे थे।
जब अपनों की तलाश में निकले,
तो अपनापन सिर्फ दिखावा निकला।
जब अपनापन ढूंढा,
तो खुद ही अकेले पड़ गए।
जब ख़ुशी की तलाश की,
तो दर्द ने बाँहों में ले लिया।
जब दर्द में भी मुस्कुरा रहे थे,
माँ ने अपनी गोद में सुला लिया।
ये कैसी तलाश है ज़िंदगी में,
जिसका कोई अंत ही नहीं है।
जैसे यही ज़िंदगी हो,
इसके बिना हम ज़िंदा ही नहीं हैं।
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Log kahte hai ki bahut khamosh rahne lage ho,
Kaise bataye ki koi apna hume 'gair' keh gaya hai.
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