कोई चाय भर दो
छाई इस खुमारी को
ज़रा दूर कर दो
✍️Preet Vohra-
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वक़्त थम सा गया था उस पल
जिस पल तू मेरी जिंदगी में आई
तुझे खुदा की रहमत समझूं या मेरे अच्छे कर्म
जो मेरे आंगन में तू खिलखिलाई
कोई ठिकाना न था खुशी का मेरी
जब सब कहने लगे तुझे मेरी परछाई
तेरी ज़ुबां से पहला शब्द माँ सुनकर
खुशी से मेरी आंखें भर आई
✍️Preet Vohra-
बड़ा मुश्किल है शब्दों में पिरोना
उस खुशी को जो तेरे आने से मिली
हर पल हमारे चेहरों पर
एक प्यारी सी मुस्कान है खिली
✍️Preet Vohra-
चाहे रोज़ हमारी बात हो न हो
महीनों मुलाकात हो न हो
है मेरे दिल को ये यकीन
आप हो तो है पैरों के नीचे ज़मीन
Happy Father's Day
✍️ Preet Vohra
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तुम्हें सोचकर ही मुस्कुराने लगती हूं
बड़ा अलग ही मिज़ाज है इश्क का
✍️Preet Vohra-
रिश्तों की उलझनों को जितना सुलझाओगे
आप खुदको इनमें और उलझा हुआ पाओगे
✍️Preet Vohra-
वो तुझे ज़रूर भिगाएगा
इंतज़ार थोड़ा कर ले
वक्त तेरा भी आएगा
✍️Preet Vohra-
all day n night
I think of you
when you're out of my sight
I think of you
when things are not right
I think of you
when I want to hug tight
✍️Preet Vohra-
ये रिश्ते भी धागों की तरह होते हैं
इन रिश्तों को हम बड़े प्यार से पिरोते हैं
पर उलझना जब ये शुरू होते हैं
बस तभी हम अपना सब्र खोते हैं
✍️Preet Vohra-