एक दिन तेरी ज़ुल्फ़ों की छाँव में सोना है मुझे,
इन दूरियों की तपश ने जलाया है मुझे कई दिन....-
I may give words to someone's feelings, like I have given to mine.
जो तुम मिल गए हो मुझे, एक गुज़रा समाँ लौट आएगा,
तुम्हारा अलग सा अंदाज़ मुझपे, नए से रंग चढ़ाएगा...-
इनको हवा में खुल के रंग भरने दो,
अपने बालों को ज़रा आवारगी करने दो...
रेश्म सी लटों को मेरा दिल चीरने दो,
इनको पकड़ो मत, ज़रा गड़बड़ी तो करने दो...-
पूछे कोई तो कह दूँ मैं, कि मुझमें रम जाओ तुम,
मगर तेल को पानी में मिलते, देखा तो मैने भी कभी नहीं...
अब कुदरत से सीख रहा हूँ नियमों में बँधना,
वरना मोहब्बत में कायदे से चलना, सीखा तो मैने भी कभी नहीं...
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हमारे लहज़े ने बनाया था मिलकर तमाशा,
कुसूर सिर्फ़ मेरा बताना वाजिब तो नहीं,
अच्छे से मालूम हैं तेरी कमियाँ तुझे,
गलतियाँ सिर्फ़ मेरी गिनाना मुनासिब तो नहीं,
पल भर में बना दिया मुझे मुनहसिर से साज़िशगार,
ये हड़बड़ाहट थी तेरी, कोई तरतीब तो नहीं...-
एल हल्का सा ख्याल आता है, जो मैं समझ नहीं पाता ज़्यादा,
कि तेरे साथ रहकर ज़िन्दा था मैं, या आजकल, अकेला ही ज़िन्दा हूँ मैं थोड़ा ज़्यादा...-
एक शौक है जो आपको वादे करने का, बदल लीजिये उसे,
कि आपके मुकरने से किसी और को मरते देखा है मैने, बड़े करीब से...-
कहती हो, तुम्हें मुझसे मोहब्बत नहीं?
फ़िर यूँ आँखों में देख तेरा शर्माना है कैसा?
तेरी गालों पर लाली का आना है कैसा?
हल्की सी बात पर तेरा खिलखिलाना है कैसा?
खैरियत है फिर भी तेरा हड़बड़ाना है कैसा?...
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