जाने किस ख्याल में डूबे हैं... जिंदगी की इस शाम में...
अरे जिंदा हैं... ये क्या कम है... इस वीराने से गाँव में...
मुस्कुराहट... और आँसू... भी अब तो बिकने लगे हैं...
इस दुनियाँ के... हर मोहले.. और गाँव में...
सुक्र है... पाँव में छाले नहीं पड़े अभी तक...
वैसे तो अंगारे बिछा रखा है दुनियाँ ने... हर गाँव में...
इंसानीयत और मासूमियत... मिलती है अब...
किताबों की किस्से कहानियों की नाव में...
जाने क्या ढूँढ़ रहें हैं सब इस मरते हुए..दुनियाँ के गाँव में...
उपर वाला भी बैठ है बेसुध... आँगरों पे ये सोच...
आख़िर क्या कमी रह गयी इंसानों को बनाने की राह में...
जाने किस ख्याल में डूबे हैं... जिंदगी की इस शाम में...
प्रीत के दिल से...
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कुछ बातें अनकही सी रह जाती हैं...
कुछ लम्हें सिमटे से रह जाते हैं...
जानें वाले हमेशा के लिए चले जाते हैं...
बस आँखों में आँसू...
और होंठों पे मुस्कान छोड़ जाते हैं...
हर जाने वाले लोग विरासत में...
अपनी झलक... अपनो में छोड़ जाते हैं...
कुछ अनकही सी बातें...
कुछ रिश्तें अधूरे छोड़ जाते हैं...
अपनो की आँखों में... अपनी निशानी छोड़ जाते हैं...
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सारी यादें भी खो जायेंगी...
सारे निशान भी मिट जाएंगे...
इस बुल्बुले सी जिंदगी मे...
क्यों किसी को खोएं...
क्या किसी से रूठे...
जो पास है उसे अपना बनालो...
जो रूठे हैं उन्हें मनालो...
कब जिंदगी रूठ जाए.. क्या भरोसा...
कब खुद ही मिट जाएं... किसे पता...
चलो मुस्कुरा ले...
इस जिंदगी का हर लम्हा सजा ले...
क्या पता कल ये मकान हो ना हो...
यादों का ये आशियाँ हो ना हो...
हमारे वजूद का निशान हो ना हो...
चलो एक दूसरे की आँखों में हम मुस्कुराए...
हर अपनो की धड़कनो का हिसा हम बन जाएँ...
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कुछ तूझ मे खाश है
बस तूझे इस बात का एहसास हो
दुनिया की नज़रों मे नहीं
खुद की नज़रों मे तू खाश हो
अकेलेपन से नहीं
तू खुद के साथ से खुश नवाज हो
मैफिलो मे तू भीड़ का हिस्सा नहीं
तू खुद अकेले मैफिलो की जान हो
बस खुद के लिए तू इतना सा कर
की खुद मे तेरी एक शान हो-
हर सकस गम से सना है
कोइ आँसूं मे सना
तो कोइ मुस्क़ुरा के खड़ा है
बेवज़ह नहीं देती ज़िन्दगी
हर लम्हा...
कभी ख़ुशी की धूप
कभी ग़म की धुंधली शाम
पर मायूस ना हो ए दिल
तेरी हौसले के आगे कुछ ना टिक्का है
खुद को कर बुलंद इतना की
तेरी उम्मीद के आगे
ख़ुदा भी झुका है...-
मैं रहूँ या ना रहूँ...
तू मुझ में बाकी रहना...
चली जाऊं इस जहां से भी तो...
मेरी माँ ये है ... ऐसा कुछ कहना...
तू जीना अपनी जिंदगी इस कदर...
मैं मुस्कुराऊँ तेरी आँखों में हर पहर...
तेरी मुस्कान देख...हर कोई कहे ...
आज फिर एक माँ मुस्कुराइ है ...
अपने बेटे के संग...
मैं रहूँ या ना रहूँ ...
तू रहना कुछ इस तरह मेरे संग ...
अपनी मुस्कान में रखना मुझे ...
जीवन भर ..-
कुछ सवालों के जबाब नही होते...
कुछ लोग खास होते हैं... पर साथ नही होते...
मायूसियों का तो काम है... गुमराह करना...
जो खुद के साथ हैं...वो कभी नही खोते...-
देश के लिए जीते हैं...देश के लिए मरते हैं
भारत माँ के मिट्टी मे... ऐसे अनेक सपूत जन्मते हैं
इस देश के कण कण में ये बसते हैं...
ये वो वीर जवान है...जो हमारे लिए जीते हैं...
उन शहीदों को शत् शत् नमन है...
जो उम्र भर...इस भारत माँ के चरणों को सुरक्षित रखते हैं
जाते जाते अपने प्राणों का भेट चढ़ाते हैं...
ये वो वीर माँ के अनमोल मोती हैं...
जो मर कर भी अपनी चमक छोड़ जाते हैं...
प्रीत के दिल से...
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ईश्वर का रूप..
है नन्हा स्वरूप..
ईशू हमारा है..
सूरज की धूप...
मनमोहक छवि..
कान्हा सी मुस्कान..
ईशू है हम सबकी जान..
खिलखिलाते झिलमिलाते..
बड़े हो जाओ जैसे बढ़े तुम्हारे अरमान..
सबके आर्शीवाद से हर जन्मदिन बढ़ाए..
तुम्हारी उम्र सालों साल...!!
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कुछ ख्यालों में डूबी थी...
कुछ सवालों में डूबी थी...
हर शाम अपने जवाब के
तालसों में डूबी थी...
जिन्दगी अपने मायने ढूंढ रही थी...
और महफ़िल चार दिवारी में सिमटी थी...
जब खुद को आइने में देखा...
तो तसव्वुर हुआ की...
वो तसल्ली की शाम अभी बाकी है...
ऐ दिल नाशाद ना हो...
वो आने वाला कल अब भी बाकी है...
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