Preet_alfaa_z   (Preet)
223 Followers · 2 Following

Adhuri_preet
Joined 25 February 2018


Adhuri_preet
Joined 25 February 2018
30 APR AT 12:33

मेरा मुसव्विर कहीं लापता हैं,
पास है तब भी तो फासला है।

इन्कार नहीं इकरार भी नहीं,
कैसा मुझसे अज़ीब राबता है।

दुआ  दवा  दारू  सब बेकार,
हर राज़ हमारा जैसे राजदा है।

फैलती है खुश्बू जो बोलो तुम,
चुप हो क्या कोई मसअला है? 

कैसा इत्तेफाक है, महफ़िल में,
हर नज़र का  तुम पे जाब्ता है।

अच्छा सुनो खो न जाना तुम, 
इश्क़ जहाँ का आखरी रास्ता है।

प्रीत जैसे कोई दरख़्त पुराना,
इसपे कई परिंदों का घोंसला है।

-


28 APR AT 9:27

लफ़्ज़ सहारों से गुजर गए,
तो हम बहारों से गुजर गए।

हमे समझाने आए  थे जो,
वो सब किनारों से गुजर गए।

बात मंजिल नहीं, सफ़र है,
दोस्त किरदारों से गुजर गए।

कल रात आए थे कई ख़ाब,
सारे दरवाजों से गुजर गए।

उसका हुस्न माशाल्लाह!
कितने  बाहों से गुजर गए?

बेमतलब मआनी मिले नहीं,
तो रिश्तेदारों से गुज़र गए

पीछे रहता है इक साया भी
हम तन्हा राहों से गुजर गए

-


26 APR AT 9:26

इक किताब मे गुलाब का सूखा है मलबा
यूँ लगता है मेरे इश्क़ का हुआ है मलबा

मेरे पास है ख़ुदा से शिकायत का पुलिंदा
कभी कभी लगता है ये पुलिंदा है मलबा

अब मुझे नफ़रत से देखता है जाने क्यूँ 
उसके अंदर किसने जला दिया है मलबा 

कई बार हवस में उसकी बाहों में गिरा
मतलब कई बार उसने भी चूमा है मलबा

यार अब तो कोई खाली कर दे मुझको
मुझमे  इश्क़ का मलबा भरा है, मलबा।

प्रीत तो खुदा को प्यारा होना चाहता था, 
मगर दुनिया से बेवक्त कब उठा है मलबा

-


25 APR AT 11:59

दो कहानियाँ,
कुछ बातें, कुछ यादें
एक कहानी प्रेम
एक कहानी अश्रु
किसी को बाते याद है
किसी कुछ याद नहीं
बाते यादे वादे बरसातें
सब छलावा? गुनहगार कौन?
प्रेमी.??
ना जी..
गुनहगार दिखाई देता है?
ना जी..
वो तो छिपा है..
परिवार,समाज, धर्म, जाति,
ऊँच नीच में.
और इसके तलवे मे
दबा है
प्रेम.. और
प्रेम की बातों यादो का
सुनहरा युग..
बाकी सब असीमित है
सिवाय प्रेम के

-


25 APR AT 11:58

कुछ कहानियों में
किरदार नहीं होते
या होते भी है
तो खामोश..
इतने खामोश की
चीर बैठे
गला
एक आहट से..
ऐसे जैसे काटा गया हो
शमशीर से..
और ना कामिल है
यह इत्तेफ़ाक...
ऐसी कहानियाँ कभी
मुक्कमल नहीं होती..
सिर्फ़ रह जाती है
अधूरी
और काले अंधेरों की
पुरनम बातें..

-


25 APR AT 11:55

कहना तो..
बहुत कुछ है.. मगर
कभी कभी लगता है..
कहने को शब्द नहीं..
कभी ढाढस बँधा के
मन को.
कोशिश भी करू मैं.
फिर यूँ लगता है
कहना सुनना भी जरूरी है?
नहीं..
सुनना तो है मग़र
मुझे लगता है..
कहने सुनाने वाला
कोई नहीं..
ना मेरे पास.. सुनने वाला है
ना मुझसे कहने वाला कोई.
मगर.. है तो केवल..
उम्मीद..
एक लाचार उम्मीद..

-


25 APR AT 11:53

एक दिन आयेगा
जिस दिन होगा परिवर्तन.
परिवर्तन
मेरे हृदय भावनाओं का
करुणा का,
वंदन का, पीड़ का
और
परिवर्तन होगा
प्रेम का...
क्रोध में...
क्रोध जो कभी शांत
होने वाला नहीं
क्रोध जो प्रेम की
तरह असीमित.. रहेगा
कई वर्षो के
तिमिर के बाद
एक दरार से रौशनी आएगी
परलोक की.
वो दिन अंतिम होगा.
परंतु
मेरा या तुम्हारा??

-


25 APR AT 11:49

मैं अपने एकांत में ले आता हूँ स्मरण मे उन सुनहरे क्षणों को जो बीत चुके हैं और बीत चुका है ओज मुख का केवल बचा है तो सिर्फ सूखे सुर्ख अधर, यूँ काल का प्राप्त होता रंग और नतमस्तक ग्रीवा, जो स्वतः ही झुकी है, हर बार केवल अश्रु ही नहीं होते दुःख दर्शाने के साधक कभी कभी मौन भी दुःख का पर्याय होता है, ग्लानि तो है और आजीवन रहेगी भी क्यूंकि धैर्य मेरा क्षीण हो चुका है।
पीड़ा ये रहेगी समझ न सका, पीड़ा ये भी रहेगी समझा भी न सका।
मैं सम्मान करता हूँ सदैव तुम्हारे उन फैसलों का जो लिए गए हैं मेरे लिए, विश्वास हो तुम मेरा, क्यूंकि मे मानता हूँ पत्थर से अधिक चरित्रों को, और अधीन हूँ मैं, अनैतिक नहीं। याचना जब अधिक होने लगती है तो यातना का रूप ले लेती है, मैं और अधिक यातनाएं नहीं दे सकता।
अंत में यह कि हो तो तुम मेरे राम


प्रीत

-


22 APR AT 7:02

इस बार जो होगी गुफ़्तगू मेरी उससे,
ख़ुदा तेरी शिकायत अपने ख़ुदा से करूंगा

-


22 APR AT 6:58

जिंदगी चली गई यार पानी में
तो दिन बचे है दो चार पानी में

कैसा शराबी है मिलाए जा रहा है
शराब ही शराब बेकार पानी में

मिरे दोस्तों की दोस्ती में लुटाये है
दिन साल रुपये हजार पानी में

तुम्हें देखा नसीब से मैंने छुपके
चौध्हवी का चांद इक बार पानी में

शायद पनघट से पीछे छूट गया
डूब गया बचपन का प्यार पानी में

काटने कमाने खाने मे कट रहीं हैं
फिर भी चुकाया न उधार पानी में

प्रीत नज़ारा कर तेरे आसपास का
बुत ही बुत है मग़र करार पानी में

-


Fetching Preet_alfaa_z Quotes