आज बसंत का आगमन हुआ है
इस धरा पर
ना जाने कब तेरे प्रेम वसंत का
आगमन मेरे मन की धरा पर होगा।।
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प्रकृति का चित्त शाँत
वातावरण शुद्ध
और स्वभाव स्नेहयुक्त है।।
_अंकिता🍁-
दो ही शर्त जीवन के
एक दृढ़-संकल्प
दूसरा समर्पण मन के।
पराजित होने से क्या भयभीत होना
गिरने के पश्चात तूम
उठने की कोशिश करना।
पुनः कोशिश करने से मत डरो
अंतर्मन की पुकार सुनकर विजयी हेतु
तुम फिर से कोशिश करो।।
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सही शब्द चुनना
जो स्वयं ग्रहण नहीं कर सकते
दूसरों को भी वो कभी मत बोलना।।-
यूँ तो दर्द बहुत है दिल के मकाँ में
फिर भी मुख पर मुस्कान सजाए हुए है।-
वेदना
संवेदना
के मध्य मृत हो जाती है
अंतर्मन की सारी व्यथा
तब दुःख के शववस्त्र में लिपटे
सारी व्यथाओं का सुकर्म करता
मृत शरीर यथा
नव जन्म के लिए
नव प्रकृति के लिए
नव सुख के लिए
त्याग कर रात की उदासी
नव सुख का है परमार्थी-
एक दिन बैठी थी किनारे पर सबसे किनारा करके
कैसे बदल जाते है सब अपनों को नजरअंदाज करके।।-
इश्क़ हुआ है तुमसे हमें बेपनाह
दायरों में रख कैसे करें ये ग़ुनाह-
अटूट बंधन हो प्रेम का
विश्वास का
एक दुज़े के साथ का
तो
ज़रूरत नही रह जाती है
किसी तरह के दिखावे का
क्योंकि;
जहाँ प्रेम हो रिश्तों में
वहाँ प्रेम-आनंदित होता
और प्रेम-रँग बिखरता है
भावनाओं में
आपसी संबंधों में
निश्वार्थता में
व सौंदर्यता में।।
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