प्रदीप कुमार दाश "दीपक"   (प्रदीप कुमार दाश "दीपक")
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HAIKU POET
Joined 30 January 2018


HAIKU POET
Joined 30 January 2018

बहुत कठिन है
उस दहलीज तक जाना
जहाँ आपकी प्रतीक्षा में
कोई खड़ा न हो..

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सकारात्मक सोच

एक व्यक्ति की आदत थी कि वह रोज सभी परिचित लोगों को नमस्कार करता था । एक आदमी उसके नमस्कार का जवाब 'गाली' से देता था एक दिन किसी ने उस व्यक्ति से पूछा, "वह आदमी तुम्हें भला बुरा कहता है फिर भी तुम उसे नमस्कार क्यों करते हो ?"
उस नेक इंसान ने जवाब दिया, "जब वह मेरे लिए अपनी बुरी आदत छोड़ नहीं सकता तो मैं उसके लिए अपनी अच्छी आदत क्यों छोड़ूं ?"

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रूप वन का दमक रहा, जलती मानो आग ।
तन - मन द्वय दहक रहे, मुस्कुराये पलाश ।।

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यादें याद रखना..
बातें याद रखना ...
साथ न रहे फिर भी
हम साथ साथ हैं
जीवन भर ये याद रखना ।

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नारी तू लड़
मुक्ति चाहे अगर
खुद को गढ़ ।

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ପ୍ରେମିକାର ଆକାଶ
~ ପ୍ରବାସିନୀ ହୋତା

प्रेयसी के आकाश
(हिंदी काव्यानुवाद)

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छोटा दीपक
तिमिर हरण का
बने द्योतक ।

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दीपक तब तक जलता है, जब तक उसमें तेल
जगत रोशन करने को, दीया सक्षम एक ।

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ढेरों कमाया
साथ न गया सिक्का
वो चला गया ।

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मधुक वृक्ष
खुश्बू बड़ी नशीली
मादक पुष्प ।

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