'प्रदीप' बहराइची  
25 Followers · 13 Following

Poet,writer....
Joined 13 October 2019


Poet,writer....
Joined 13 October 2019

राम अवध में अवध राम में इनकी प्रीत निराली है
देह अवध तो प्राण राम हैं अवध राम बिन खाली है
कांतिहीन ही रही अयोध्या राम रहे जब तक वन में
राम अवध आए तो देखो चारों ओर दिवाली है।

-



निहारेंगे हो तारे आज बेकल,
ज़मीं पे होगा घर घर चांद रौशन।

-



हवाओं में उड़ो उड़कर छुओ आकाश सारा तुम,

मगर पैरों तले मिट्टी की कीमत भूल मत जाना।

-



उजाला जब कभी भी लूटा जाएगा,
किसी जुगनू पे ही इल्ज़ाम आएगा।

-



जब जलेगी लाश़ मेरी तो ठहरना
और फिर रुक कर ज़रा सी टेक लेना।
तुम जिसे सबसे बचाकर रख रहे थे
राख़ होती देह मेरी देख लेना।

-



मौन रहकर भी,
खुद में सिमटकर भी,
परिस्थितियों में ढल कर भी
यदि जीवन की विसंगतियां जस की तस बनी रहें तो बेहतर है मूल स्वरूप में ही रहें।

-



मुझे वर्ष नव की बधाई न देना,
ख़ुमारी में बाइस के हूं अब तलक मैं।

-



चलो अच्छा हुआ इल्ज़ाम आया,
मेरा किरदार कुछ तो काम आया।

-



ज़िस्म अगर ही दो लोगों में बंधन है,

प्यार नहीं ये, जो चाहे कह सकते हो।

-



अगर आसमां के सहारे न होते,
कहीं के ये चन्दा सितारे न होते।

-


Fetching 'प्रदीप' बहराइची Quotes