राम अवध में अवध राम में इनकी प्रीत निराली है
देह अवध तो प्राण राम हैं अवध राम बिन खाली है
कांतिहीन ही रही अयोध्या राम रहे जब तक वन में
राम अवध आए तो देखो चारों ओर दिवाली है।-
'प्रदीप' बहराइची
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Poet,writer....
Joined 13 October 2019
12 NOV 2023 AT 8:50
19 APR 2023 AT 10:48
हवाओं में उड़ो उड़कर छुओ आकाश सारा तुम,
मगर पैरों तले मिट्टी की कीमत भूल मत जाना।-
23 JAN 2023 AT 18:04
जब जलेगी लाश़ मेरी तो ठहरना
और फिर रुक कर ज़रा सी टेक लेना।
तुम जिसे सबसे बचाकर रख रहे थे
राख़ होती देह मेरी देख लेना।-
21 JAN 2023 AT 8:42
मौन रहकर भी,
खुद में सिमटकर भी,
परिस्थितियों में ढल कर भी
यदि जीवन की विसंगतियां जस की तस बनी रहें तो बेहतर है मूल स्वरूप में ही रहें।-
1 JAN 2023 AT 18:36
मुझे वर्ष नव की बधाई न देना,
ख़ुमारी में बाइस के हूं अब तलक मैं।-
17 NOV 2022 AT 6:44
ज़िस्म अगर ही दो लोगों में बंधन है,
प्यार नहीं ये, जो चाहे कह सकते हो।-