प्रभाकर कुमार   (Realtalk_pk. (प्रभाकर))
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लिखता हूँ दिल की बात
आओ थोडा तुम भी पढ़ लो।
हो सके तो तुम भी मेरे
जज्बातो से थोडा खेल लो।
Joined 27 February 2017


लिखता हूँ दिल की बात
आओ थोडा तुम भी पढ़ लो।
हो सके तो तुम भी मेरे
जज्बातो से थोडा खेल लो।
Joined 27 February 2017

नहीं रखना तुझे हिजाब ए बंदिश में,
तू है चांद तो तुझे, छुपाना कैसा।

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उम्र से पहले अगर कुछ हासिल करनी है तो लक्ष्य हासिल करो वही तुमको, सक्षम बनाएगा,
ये रिश्ते और उम्र से ज्यादा की सोच रखना ये सब बकवास है, ये कभी काम नहीं आयेंगे, सिवाय लोगों के ये कहने के, की लड़का बहुत समझदार है।

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नहीं आती याद मेरी उसको
मैं तड़पता रहता हूं,और
सारे ज़ख्म अपने नाम कर,
अब मैं सारी रात तन्हा सोता हूं।
कभी फोन उठा कर देखता हूं, तो कभी msg उसका पढ़ता हूं,
कॉल हिस्ट्री चेक कर मै पागल सा होता हूं।
फिर सोचता हूं जाने दो,—2
अब सोच कर क्या ही कर सकता हूं,
जब चली गई छोड़ कर, फिर रो कर क्या ही कर सकता हूं।

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मेरे प्यार की निशानी आज भी रखी हो,
मेरी ग़लत फ़हमी थी कि, तुम मुझे याद नहीं करती।

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एक अरसा गुजर गया हमे तुमसे अलग हुए,
फिर भी न जाने ये अश्क,तुम्हारे यादों के सहारे क्यूं आता है।

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ये अब क्यों कह रही हो की ,
तुम अच्छे हो, तुम्हे अच्छी मिल जायेगी,
ये बात तो उस वक्त भी हो सकते थे, जब हम एक हुए थे।

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इतनी सारी यादों को कैसे मिटाऊंगा,
तुम्हे भूल कर किसी और को अपना कैसे बनाऊंगा,
तुम कहती हो अकेला मत रहना मेरे जाने के बाद,
तुम्ही बताओ ये जख्म लेकर किसके पास जाऊंगा।

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लौटने लगा हूं मैं, अपने उस पुराने दौर में,
जहां
कलम ने दर्द लिखना शुरू कर दिया है,
और
आंसू बन गए है सियाही मेरे जख्म का,
अब मैं तन्हा रहने लगा हूं।

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मेरा अनुभव कहता है,
वो तोड़ देगी मुझे,
वजह कुछ भी नहीं होगा उसके पास,
मग़र फिर भी, वो छोड़ देगी मुझे।

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नही आती अब रातो को भी उसको मेरी याद,
जो बात किये बिना मुझसे,
कभी सोती नही थी।

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