Prayatna Kunj   (पराया लेख)
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Joined 27 March 2020


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1 SEP 2021 AT 19:31

आवारगी की आबादी में छुपी मेरी बर्बादी,
का तमाशा देखती मेरी सादगी।
आजाद था‌ मैं, आजाद हूं मैं,
तेरे मिलने से पहले आबाद था मैं।

- PK SINGH PRAYATNA KUNJ 😶













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4 JUL 2020 AT 10:23

मैं लिखता नहीं कुछ खास,
बस आया पढ़ने दो बात,
रहते तो दूर, फिर क्यों लगते इतने पास।

आपके लिखावट में कुछ तो है बात,
मानो खुशियों की बारात।
या मिलते हमारे हालात,
जो बयां करती हमारे ख्यालात।

जो कर दे अच्छे शायरों को मात।
जो खट्टे कर दे बड़े शायरों के दांत,
जो धर्म देखती ना जात,

पढ़ते पढ़ते हो गया हूं अकस्मात,
मानो सावन में हो बरसात।
सीधे दिल पर देती घात,

आपसा दोस्त ही तो हैं अल्लाह की सौगात‌।

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29 JUN 2020 AT 7:07

सोने की ख्वाहिश नहीं थी,
मुझे जबरन सुलाया गया,

जीने की चाह नहीं,
जीतने की चाह थी मुझे।
मैं जिंदगी से हारा नहीं था,
मेरे काबिलियत को नकारा कर,
जबरन हराया गया है।

उस भीड़ वाली महफिल का हिस्सा कभी था ही नहीं,
जिसमें मुझे तन्हा किया गया।
मैं उन्हीं का हिस्सा हूं,
ऐसा मुझे एहसास दिलाया गया।
यह साजिश थी मुझे तोड़ने की,
जहां मुझे सताया गया।

कड़ी मेहनत से जिस ऊंचाई पर पहुंचा,
मुझे वहां से जबरन गिराया गया।

मरने की ख्वाइश किसे होती है,
मेरे जहन में ऐसा कुछ नहीं था।
जिस रास्ते में चलना नहीं चाहता,
उस रास्ते मुझे चलाया गया,
साजिश के तहत खुदकुशी करवाया गया।

सोने की ख्वाहिश नहीं थी,
मुझे जबरन सुलाया गया,

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16 APR 2020 AT 4:36

उम्मीद की तलाश में,
मैं निकला था जिस रास्ते।

मंजिल का तो पता नहीं,
बस बदल रहा हूं रास्ते।

पाना था उस मुकाम को,
ना जाने किस के वास्ते।

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23 MAR 2021 AT 9:02

हर्ष याद है जन्मदिन वाली मार,
वह कोल्ड ड्रिंक की बौछार।
पार्टी पार्टी चिल्लाने वाले बार-बार,
जो नाचते थे धमाकेदार,
मानो अपनी हो सरकार।
कहां मिलेंगे ऐसे यार।

तुम होते तो नहीं याद आता घर परिवार,
मानो संपूर्ण हो संसार।
भगवान हर किसी को दे ऐसा यार,
जिस रास्ते में सिर्फ हो प्यार एवं दूलार।

नाम में हर्ष।
सपनों की पाने की संघर्ष,
कोशिश करना है तुम्हारा फर्ष ।
चाहे लोग उड़ाए तुम्हारा उपवास,
या करते रहे बकवास,
सदा रखना अपने मुख पर उल्लास।

हर दिन से प्यारा लगता है ये खास दिन,
जिसे नहीं बिताना चाहता तुम्हारे बिन।
सारा दुख जाए तुमसे छिन,
एक बार फिर तुमको मुबारक हो तुम्हारा शुभ जन्मदिन।


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18 OCT 2020 AT 18:48

दस्तक जो दी तूने, इस दिल पे,
जब जाना ही था, तो जाओ पर मिल के।

फिर क्यों छोड़ गई, यादें इस दिल में,
जो निकलता ही नहीं , मानो गई हो इसे सिल के।

दिलासा देने वाले, लोग क्या जाने,
कि क्या हुआ था, उस महफिल में।

हम एक शख्स नहीं, क़ायनात हारे थे,
बह गए सारे ख्वाब, मेरी आंखों के झील में।



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21 JUN 2020 AT 18:53

सब कुछ तो है, फिर भी खालीपन सा है।
सब कुछ तो ठीक है, फिर क्यों पागलपन सा है।
सब तो है यहीं, फिर क्यों अकेलापन सा है।

लोग तो है बात करने को, पर करूं क्या,
जिससे करनी है, उसे कहूं क्या,
पता नहीं क्यों असमंजस वाला जहां सा है।

मैं हूं यही, या कहीं और,
मैं हूं भी , या नहीं।
मैं बीता हुआ कल, या आज,
मैं कल में ही हूं, आज नहीं।

मैं यहां भी हूं, वहां भी नहीं ।
मैं आज हूं, कल रहूं न रहूं,
या आज ही, ना रहू।

मैं कौन हूं, शायद कोई नहीं,
मैं क्या हू, शायद कुछ भी नहीं ।

मैं सबमें हूं, अफसोस खुद में नहीं।
मैं समुद्र में हूं, आसमा में भी,
मैं गुजरे पल में ही हूं, आने वाले समा में नहीं।

सब कुछ तो है, फिर भी खालीपन सा है।
सब कुछ तो ठीक है, फिर क्यों पागलपन सा है।
सब तो है यहीं, फिर क्यों अकेलापन सा है।

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6 JUN 2020 AT 7:32

तू सपना है मेरी ,हकीकत नहीं,
सांसे चल रही, पर धड़कन नहीं,
सदियां बीत रही, पर हम हैं वही।

जीवन में पहली बार तो किया ।
किसी और से नहीं,
तुम्हीं से प्यार किया।
क्योंकि तू ख्वाइश हैं मेरी, फरमाइश नहीं,

चाहे एक तरफा ही सहीं।
पर करता रहूंगा,
खुद से वादा किया।
क्योंकि तुम मोहब्बत है मेरी, कोई मोहलत नहीं,

जानते हुए कि तुम नहीं मिलोगी।
फिर भी निस्वार्थ भाव से ,
मरते दम तक तुम्हें ही किया।
क्योंकि तू इबादत है मेरी , इजाजत नहीं,

नहीं मिली तो क्या,
फिर भी याद तो तुम्हें ही किया।
क्योंकि यह इश्क है , मकसद नहीं।

तू सपना है मेरी ,हकीकत नहीं,
सांसे चल रही, पर धड़कन नहीं,
सदियां बीत रही, पर हम हैं वही।

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18 MAY 2020 AT 10:06

प्यार के लिए, हो जाता कुर्बान।
पर अब लूंगा इंतकाम।

यू छोड़ देना सरेआम,
बेवजह करना बदनाम।
जिसको दिया था अपना नाम,
उसी ने किया बेनाम,
और हो गई वो गुमनाम।

तुम्हारे लिए हर शाम,
छोड़ा था अपना काम ।
तुम थी मेरी मरहम,
फिर क्यों बन गई मेरी गम।

हो गया हूं मैं शैतान,।
या कह लो हैवान।
प्यार के लिए, हो जाता कुर्बान।
पर अब लूंगा इंतकाम।

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15 MAY 2020 AT 8:26

बंद हैं आंखें,
आंखों में तुम।
जब बह रही आंखें,
तब क्यों नहीं हो तुम।

दिल में ख्वाब,
जहम में यह बातें।
कितने थे ख्वाब,
या सिर्फ बातें।

तुम तो गई,
पर तेरी यादें नहीं।
यह गम ही सही,
जो कभी गई नहीं।

होती तुम काश,
या मैं नहीं।
मैं करता रहा काश,
पर तुम आई नहीं।

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