तेरे इर्द गिर्द वो शोर था मेरी बात अनसुनी हो गयी
सुन रखा था बदल जाता है हर शख्स अंत में
मिलकर तुमसे सोचा था अलग हो तुम
अंत में भी बात वही हुयी
हजारो दफा कोशिश कि मैने रोक सकूं
तुझे नजरो से दूर होने से
तु चाहता तो समझ सकता था
मुझे डर था तु मेरी बातो को अनसुनी करेगा
और क्या था फिर मेरी बात अनसुनी हो गयी ....-
धम्मं शरणं गच्छामि
संघं शरणं गच्छामि
प्रकृति से प्यार 🌴
अगर हम लोग पर्या... read more
न चाहते हुये भी कर बैठे सलूक गैरो सा उनके साथ
जिन्होने कहां है जमाने से ,
देखो हमारे दिल में बस्ती जान इनके साथ-
काटी न जा सकी थी वो उदासी भरी रात हमसे
यारो आया था मन में कि अगला सूरज डूबे तो साथ लेकर डूबे-
न मैने उसकी मुश्किलें बढ़ाया न मैने परेशान किया
उसने मुझे जाने का इशारा दिया
और ये सदमा लेकर फिर तन्हाई में चल दिया ...-
यूं तो उसके साथ होने पर लगा था ,
उससे आगे दुनिया में कुछ नहीं
दगाबाज हुए वो और जब जाना दुनिया को ,
लगा वो दुनिया के आगे कुछ नहीं ...
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तुम आना मेरे जनाजे पर फिर एक हसीन मुलाकात होगी
मेरे जिस्म में बेश्क जान ना हो पर मेरी जान मेरे पास तो होगी-
मिलता नही हूं अब मैं उससे पहले कि तरह
कभी जाऊं मैं शहर तो सोचता हूं
देखेगा वो मुझे पहले नजर कि तरह
कभी जो राह तकता था मेरी दहलीज पर अपने
आज दिखा मैं तो बंद कर लिये दरवाजे उसने गैरो कि तरह..-
अगर रोना है तो इश्क करो
अगर खोना है तो इश्क करो
बहूत ही खुदगर्ज है ये दुनिया और दुनिया वाले
अगर खुद से ही रूठना है तो इश्क करो...
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