तलब तो थी उसकी,
सिगरेट बस एक बहाना था ।
हमें धुए को जाते देख,
बस उसे फिर से भूल जाना था ।।
हम बैठे एक महफिल में और फिर से एक आवाज आई,
आज फिर सिगरेट सुलगा रहे हो, "एकदम ज़ोर की तलब आई , याद आई की सिगरेट आई ?" ।।-
Mei toh keval Insaan hu
Bhakt hu bhakti mei rehta hu
Zakir khan sang sakt... read more
मैंने चाँद देखे, कई तारे देखे,
फूलों के कई बहारें देखे |
ढूंढता रहा वो एक बात पूरी दुनिया में,
तुम्हारी आँखों से ना कहीं नज़ारे देखे ||-
उस की चाहत बन पाउ ऐसी दुआ करना मेरे लिए,
उस की जिंदगी में बरक़त लाऊ ऐसी दुआ करना मेरे लिए |
फिर से इश्क हो रहा है मुझे,
खुद को बरबाद ना कर लू में ऐसी दुआ करना मेरे लिए ||-
कल तक तो खुद को निहारते थे मेरे सामने,
आज बिखर गया तो चुभने लगा हु ।-
अभ बदला तो लिया जाएगा मेरी जान,
बस रास्ते में से टकराकर तो देखो ।-
उन्होंने गले से क्या लगाया मेरे ज़ख्म बोल उठे,
पिछली बार बहोत दर्द सहा है जनाब,फिर तुम टूटने चले आगए ।
ज़ख्म को भी मरहम उन्होंने लगाया जिनोने ये घाव दिए है,
हम कहा किसी की गुलामी करे ,ये मोहब्बत की चाह ने बिगाड़ के रखा है ।।
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सिर्फ रिश्ते बनाना नहीं
रिश्ते निभाना सिखाती है।
ये मोहब्बत है जनाब,
सिर्फ इश्क़ नही तो नफरत भी सिखाती है ।।-
कोई मुझे पीर फकीर के पास ले चलो,
अभ हकीम रास नही आ रहे।
ये रोग नही है मोहब्बत का,
जीन का साया बन चूका है ।।-
तुम बदनाम ना हो,
इस के खातीर खामोश हूं।
अगर मेरी किताब दुनिया के हाथ लगी,
तो बेज़ार करदेगी जीना तुम्हारा ।।-