नंद बाबा का लाडला था,
बांसुरी बजाने वाला कान्हा था।
कभी यमुना के किनारे,
तो कभी पेड़ की डाली पर,
मधुर बासुरी स्वर से मोहित
करने वाला गोपाल-ग्वाला था।
किसी के लिए माधव,
किसी के लिए गोविंद,
किसी के लिए कान्हा,
और आज भी सबका प्यारा कृष्ण है!
—Prayag Pawar
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जशी वाऱ्याची मंद झुळूक
भर उन्हात गारवा देऊन जाते,
तशीच दुःखातही हसण्याची सवय,
हताश माणसाला प्रेरणा देते.
जीवन जेव्हा तुमची परीक्षा घेते,
तेव्हा ते तुमचं शिक्षण पाहत नाही,
तर तुमच्यातील सामोरे जाण्याची क्षमता पाहतं.
आणि ही क्षमता,
फक्त तुमच्या स्वतःवरील विश्वासाने
आणि परमेश्वराच्या कृपेनेच येते.
स्वतःसमोर आणि परमेश्वरासमोर
नतमस्तक होण्यातच खरं सामर्थ्य आणि शहाणपण आहे.
– Prayag Pawar-
I don't want to search for you
I want to seek you as you are
I don't want to wait for you
I want to be patient for you
I don't want to hide from you
I want to express it with you
I don't want Promise you
I want to follow the Good
I don't want to impress you
I want to just feel you as I am.
-Prayag Pawar
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मोकळं करता यावं मन,
इतकं जवळ कोणी असावं.
हसू यावं स्वतःच्या दुःखावर,
इतकं कठोर कधीतरी व्हावं.
आपलं आणि परकं कोण,
क्षणातच ओळखता यावं.
पडलेली कोडी नात्यांची,
आपणच आपली सोडवावीत.
– ©®प्रयाग पवार-
O Krishna, Govinda, Gopikanta,
O Lord Hari, remover of sorrow,
O Govinda, Madhava, Murari,
You run to our aid in times of distress.
O Shyamsundar, O Lotus-eyed,
You are complete with sweetness, wealth, and all sixteen arts,
O Kanha, O Mukunda,
You enchant the seven musical notes with your charm.
O Nandalal, O Butter-thief,
Your divine play is boundless,
O Radhanath, O Dwarkadhish,
Remove the darkness from our lives.
O Vithoba, O Jagannatha,
You are the Supreme Object of devotion,
Forever bowing to You,
At your Lotus feet, O Lord Hari.
©®- Prayag Pawar-
हे कृष्ण गोविंद गोपीकांत,
दुःख हरने वाले श्रीहरी ||
हे गोविंद माधव मुरारी,
संकट समय में दौड़ते हो ||
हे श्यामसुंदर, हे कमलनयन,
माधुर्य और ऐश्वर्य से सम्पन्न,
हे कान्हा, हे मुकुंदा,
सप्तसुरों से मंत्रमुग्ध करते हो ||
हे नंदलाल, हे माखनचोर,
तेरी लीलाएं अपरंपार हैं,
हे राधानाथ, हे द्वारकाधीश,
अंधकार को दूर करो ||
हे विठोबा, हे जगन्नाथ,
भक्ति के परम आराध्य,
अखंड नतमस्तक तुझसे,
कमल चरणों में, श्रीहरी ||
©®- प्रयाग पवार-
हमने तो कलियाँ माँगी कान्हा,
तूने तो फूल खिलाए कान्हा।
रंग-बिरंगी इस दुनिया में,
कुछ खिले, कुछ मुरझा गए।
सुख की आस नहीं कान्हा,
न दुःख की अब परेशानी।
कितनों का साथ छूटा है,
और कितने जुड़ गए तेरे जुड़ने से।
चुरा लिया है तूने मुझको,
मिला है तेरा हाथ ही नहीं,
तेरा साथ भी तो मिला है।
अब मंज़िल तू ही — और रास्ता भी तू ही!
©® Prayag Pawar
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हे कृष्ण गोविंद गोपीकांत,
दु:ख हरणारा श्रीहरी ||
हे गोविंद माधव मुरारी,
धावसी संकट समयी ||
हे श्यामसुंदर, हे कमलनयन,
माधुर्य ऐश्वर्य सोळा कला संपूर्ण ||
हे कान्हा, हे मुकुंदा,
मंत्रमुग्ध करी सप्तसूरांनी ||
हे नंदलाल , हे माखनचोर
लीला तुझी अपरंपार
हे राधानाथ हे द्वारकाधीश
दूर कर अंधकार
हे विठ्ठला, हे जगन्नाथा,
भक्तीच्या परम आराध्या ||
अखंड नतमस्तक तुझ्या,
कमल चरणी, श्रीहरि ||
©®- Prayag Pawar
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कृष्ण
दुःख तर त्यालाही होतं—
जन्मल्यापासून अगदी यदुवंशाच्या अंतापर्यंत.
कधी जन्मदात्या माता-पित्यापासून दूर होण्याचं,
तर कधी वृंदावन सोडण्याचं.
कधी अत्यंत प्रिय राधेपासून दूर जाण्याचं.
पण त्याने चेहऱ्यावरील हास्य कधीही हरवू दिलं नाही.
आजही त्याच्या जादुई हास्याने कित्येक भक्तांचे दुःख हरतोय.
तो इतका अलौकिक होता की,
क्षणात पांडवांना विजयी करू शकला असता.
तरीही तो महाभारतात फक्त एक सारथी झाला...
परमपुरुषोत्तम असूनही,
जो माणूस म्हणून गोकुळी रमला,
वृंदावनी नाचला…
प्रयाग पवार-
किसी को समझने के लिए
मिलने की इतनी जरूरत नहीं होती
कुछ लोग शब्दों से ही समझते है
उनकी कहानियां उनसे पहचान कराती है
मिलने से ही सबकुछ समझता होता
तो कुछ महान हस्तियां कभी समझती ही नहीं
कुछ महान लोग आज भी हमें मिलते है
उनकी विचारों में उनके आत्मचरित्रों में
लेकिन मिलने से कुछ चीजें महसूस की जा सकती हैं
जो ताकद कभी-कभी शब्दों में नहीं होती इसलिए कुछ लोगों का जीवन में मिलना भी जरूरी होता है!
Prayag_writes
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