ये सच है कि तुम्हारी ख़ता नहीं मेरे बर्बाद होने में,
मगर ये भी सच है कि मैं बर्बाद हुआ तेरे प्यार में।
प्रयाग-
दिल उदास है तेरे इश्क में मिले ग़म सह सह कर,
मेरे पागल दिल को तेरी याद आती है रह रह कर,
अब तो कर दे इजहार ए मोहब्बत मेरे हसीं सनम,
मैं तो अब थक गया हुँ तुमसे ये बात कह कह कर।
प्रयाग-
ऐ दिल चल आज उनसे इजहार ए मोहब्बत करते हैं,
अगर वो ख़फ़ा हुई तो अप्रैल फूल का बहाना है ही।
प्रयाग-
मुझे तेरी हर बात पर पूरा एतबार है,
तु झूठ ही कहदे तुम्हे मुझसे प्यार है।
प्रयाग-
दिल पुरसुकून था एक अर्से बाद तुमको भूला कर,
तुने इसे ग़मगीन कर दिया ख़ुद की याद दिलाकर।
प्रयाग-
ईश्वर तुम्हे क्या पता कि क्या होता है नारी का दर्द,
तु तो आया धरा पर कभी राम और कृष्ण बन कर,
तुने और मर्दों की तरह दर्द दिया राधा और सीता को,
तु जाने ये जब तु आए यहाँ नारी का रूप धर कर।
प्रयाग-
न कर दूसरों पर यूँ जाया ख़ुद को,
रख ख़ुद के लिए कुछ बकाया ख़ुद को।
प्रयाग-
क्या हुआ जो उसने तापने को मेरा दिल जलाया,
इस बहाने मेरा दिल उसके कुछ तो काम आया।
प्रयाग-
मेरा दिल बहुत जलाती हो तुम आजकल,
जब मैंने हसीन सनम से किया ये गिला,
वो बोली क्या करूँ जो न जलाऊँ तेरा दिल,
मुझे ठंड में तापने को और कुछ न मिला।
प्रयाग-