संदेह में दौड़ने से लाख बेहतर है,,
आत्मविश्वास से पैदल चलना..!!-
आज मुझे अपनी मां की याद आ गई..
सब रुक सा गया
दिल थम सा गया
तुम्हारे जाने से मैं बिखर सा गया
मां....
सब कहते है तुम पास ही हो!!!
कही आस पास ही हो
तुम्हे ढूढा मैंने
हर कोने में,पर तुम दिखाई क्यों नहीं देती मां...
पहले तो एक सिसकी पर
तुम फोन मिला कर पूछती थी
अब तो चीखने चिलाने का भी तुम पर कोई असर नहीं होता मां
मां अब लौट आओ इतना भी क्या गुरुर मां...
बस एक बार आकर गले लगा लो अपने बेटे को
तुम्हारे बिना कितना अकेला हूं मै...
तुम लौट आओ मां.....
मां जैसा कोई नहीं .....
जब ये चली जाती है
तब बहुत याद आती है...😢
miss u माँ..😥-
शहीदों के लहू की स्याही से, ये संविधान बना है,,
हर दिन संभाल के रखो, मेरा देश महान बना है...!!-
चल आ एक ऐसी नज़्म लिखूं जो लफ्ज़ कहूँ वह हो जाए,,
मैं अशक़ कहूँ तो एक आँसू, तेरे गोरे गाल को धो जाए
तेरा "हाथ" बनाऊं पेंसिल से फिर हाथ पे तेरे "हाथ" रखूं,
कुछ "उल्टा सीधा" फर्ज़ करूं कुछ "सीधा उल्टा" हो जाए
मैं "आह" लिखूं तेरा दिल धड़के "बेचैन" लिखूं बेचैन हों तु,,
फिर मैं बेचैन का "बे" काटूं तुझे "चैन" जरा सा हो जाए
ज़रा नैन लिखूं तेरे नैन बने मैं रात लिखूं वोह चाँद बने,,
मैं शर्म लिखूं तेरी नज़र झुके लिखूं मिल जाए वोह मिल जाए
लिखूं चाहत है की तुझसे मिलूं अरमान लिखूं सब पन्ने पर,,
तेरे हाथों में मेरा हाथ लिखूं फिर ख़्वाब लिखूं और उठ जाए
सब क़िस्से वोह मैं लिख डालूं जो चाहूं तेरे साथ के मैं,,
फिर लिख डालूं सब क़िस्सा है सब ख़्वाबों को झुठला जाए
तुम्हे चैन लिखूं अरमान लिखूं इस दिल का इक मेहमान लिखूं,,
मुझे जैसा तुमसे इशक़ सनम लिखूं वैसा तुमको हो जाए-
साथ जब मां की दुआओं का नहीं होता है,,
ऐसे आते हैं ख्यालात, के डर लगता है...!!-
पल में "हैं" को "था" में बदल देता है,
जिंदगी जीवन व्याकरण कुछ यूँ समझा देता है..!!-
किलो भर के सपने ढोती ,अठन्नी सी जिंदगी,
पच्चीस पैसे की खुशी मिल जाये तो क्या बात हो...!!-
अब रिया जेल में बंद हो गई है तो क्या,,
उसे अब बन्द+रिया (बंदरिया🙉) कह सकते है..😂-
अब मैं तजुर्बे के मुताबिक़ खुद को ढाल लेता हूं !
कोई प्यार जताए तो जेब संभाल लेता हूं !!
नहीं करता थप्पड़ के बाद दूसरा गाल आगे !
खंजर खींचे कोई तो तलवार निकाल लेता हूं !!
वक़्त था सांप की परछाई डरा देती थी !
अब एक आध मै आस्तीन में पाल लेता हूं !!
मुझे फासने की कहीं साजिश तो नहीं !
हर मुस्कान ठीक से जांच पड़ताल लेता हूं !!
बहुत जला चुका उंगलियां मैं पराई आग में !
अब कोई झगड़े में बुलाए तो मै टाल देता हूं !!
सहेज के रखा था दिल जब शीशे का था !
पत्थर का हो चुका अब मजे से उछाल लेता हूं !!-