बंद मुट्ठी में रेत की तरह,
खुशियों को,
जितना ही कस के पकड़ना चाहा,
उतना ही फिसलती गयी...
- yourpravin- PRAVIN PANDEY
16 SEP 2017 AT 13:48
बंद मुट्ठी में रेत की तरह,
खुशियों को,
जितना ही कस के पकड़ना चाहा,
उतना ही फिसलती गयी...
- yourpravin- PRAVIN PANDEY