The seed of love might be sown
With the similarities between two people...
But it's the "understanding" which acts as
Fuel for the survival of it in the long run...
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तू दरिया में बहता तिनका,
नहीं जाना मुझे उस पार...
कुछ तो तेरा भी मन होगा,
है मेरा दिल भी बेज़ार...
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चंद पैसों के मोह में,
ना जाने कितनी ख्वाहिशों ने दम तोड़ दिए...
कुछ फरेबी का साथ किए,
कुछ अपनों से मुंह मोड़ लिए...-
खूबसूरत इस जहां को जहर कर दिया ,
आदमी ने खामखां गांव-गांव को शहर कर दिया...-
अल्हड़ अबोध सा वो लकड़हारा ,
कोसो चलता था अपने घर को चलाने के लिए,
नहीं मिली इतनी लकड़ियां कुछ पैसे कमाने के लिए
अंततःउसने लकड़ियां काटी भी तो अपनी चिता जलाने के लिए..
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सफ़र वहीं जो रुके नहीं,
वरना मन बहलाने को मंजिले तो तमाम आएंगी...-
है अक्सर ख़्वाब में मिलती मुझे
पर ना जाने क्यूं जगाती भी नहीं...
आधा अधूरा नहीं पूरा ही उसका हूं
पर हक अपना वो जताती ही नहीं...
है इश्क़ उतना ही उसे भी मुझसे
पर लबों पर बात उसके ये आती ही नहीं...
बेचैन सी है वो भी जुदा होकर मुझसे
पर ना जाने क्यों ये बात वो बताती है नहीं...
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ना जाने क्यूं ज़माना मुझे अकेला समझता है,
मैंने जब भी आइना देखा है तुम्हे अपने साथ पाया है...-
वो बैठे फिर इक दफा महफ़िल में,
और इश्क़ की बात करने लगे...
हमारी नज़रों से नजर मिलाकर,
बड़े ही मुश्किल से सवालात करने लगे...
अभी अभी तो सीखा था जीना तुम्हारे बिना
तुम फिर हमसे अपने वक़्त की ज़कात करने लगे...-