Pravesh Kumar   (Pravesh)
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शायराना सी है ज़िन्दगी की फ़ज़ा। लिखना पसंद है, बल्कि चाहत है।
Joined 17 June 2018


शायराना सी है ज़िन्दगी की फ़ज़ा। लिखना पसंद है, बल्कि चाहत है।
Joined 17 June 2018
10 APR AT 19:39

कभी धरती न मिली तो कभी अम्बर न मिला,
मिली न धूप कभी साया ए शज़र न मिला,
बहुत से दोस्त मिले और अनेक दुश्मन भी,
मज़े की बात है कोई भी वक़्त पर न मिला,

पूरी ग़ज़ल कैप्शन में....

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10 APR AT 18:57

कभी धरती न मिली तो कभी अम्बर न मिला,
मिली न धूप कभी साया ए शज़र न मिला,
बहुत से दोस्त मिले और अनेक दुश्मन भी,
मज़े की बात है कोई भी वक़्त पर न मिला,

पूरी ग़ज़ल कैप्शन में...

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5 APR AT 17:26

कभी बरसा के अपनी चाहतों को,
बड़ा आबाद करता है मुझे वो,
कभी एक शोख़-सा अंदाज़ ले के,
नज़रअंदाज़ करता है मुझे वो,

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5 MAR AT 22:29

होली
आओ मनाएं रंगों का त्यौहार होली में,
बसाएं अपने प्रेम का संसार होली में,
कान्हा ने बुलाया है तुम्हें बरसों बरस तक,
अब आ भी जा, ओ गोरी, इस बार होली में..

(पूरा गीत कैप्शन में)

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24 JAN AT 22:54

तकलीफ़ तो होती है तुम्हें पा न सके हम
अपनी ज़िंदगी में तुम्हें ला न सके हम।

कौन करे बात सनम सात जनम की,
एक पल भी तुम्हें सीने से लगा न सके हम।

तुम भी कभी कह न सके अपने दिल की बात,
जज़्बात अपने मन की भी जता न सके हम।

खुद से किये वादों की तो बात ही छोड़ो,
तुमसे किये वादे भी निभा न सके हम।

तेरी कशिश को भूलने की लाख कोशिशें,
हर चीज़ कर के थक गए, भुला न सके हम,

फिर से वही मयख़ाना, वही साक़ी, वही जाम,
पीछा तुम्हारी यादों से छुड़ा न सके हम,

इतनी सी दास्तां है कि एक तेरे जाने से,
बिखर गई ये ज़िन्दगी बचा न सके हम।
✍️

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18 DEC 2023 AT 8:51

एक सरगम दोनों में लय था, अक्सर लगता है,
मानो की बंध गया समय था, अक्सर लगता है,
अनायास ही नहीं था हम दोनों का मिल जाना,
सबकुछ पहले से ही तय था, अक्सर लगता है,

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2 OCT 2023 AT 18:39

सुबह की धूप जब आये तुम्हारी याद आती है,
घटा घनघोर जब छाये तुम्हारी याद आती है,
बसंती बाग़ में कोयल का एक जोड़ा मधुर स्वर में,
मिलन के गीत जब गाये तुम्हारी याद आती है।
किसी भँवरे के चुम्बन से, कोई नवयौवना जैसे,
कली कोई जो मुस्काए तुम्हारी याद आती है
जहां चाहत के दुश्मन हों वहां प्रेमी परिंदों का
मुकम्मल प्रेम हो जाये तुम्हारी याद आती है।
तुम्हारी यादें मेरी सांसों में ऐसे समाहित हैं,
हर एक पल में सनम हाये तुम्हारी याद आती है।
तरसती हैं ये आंखें बादलों जैसे बरसती हैं,
तू आये या नहीं आये तुम्हारी याद आती है।
✍️प्रवेश

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2 OCT 2023 AT 18:32

आना जाना लगा रहेगा
खोना पाना लगा रहेगा
संबंधों का, भावनाओं का
ताना बाना लगा रहेगा,

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10 SEP 2023 AT 18:37

श्री संजय सिंह जी का एक गीत है, "सच बात पूछती हूँ बताना ना बाबूजी" जिसमें किसी पुत्री द्वारा किये गए प्रश्न का किसी भी पिता के पास कोई भी उत्तर नहीं होता है। बात सच भी है क्योंकि मेरा मानना है कि कुछ प्रश्नों के उत्तर नहीं होते, होते हैं तो केवल प्रतिप्रश्न!
और उनके उत्तर इन्हीं प्रतिप्रश्नों से स्वयं अनुभव करने की वस्तु है।
तो लीजिये, प्रस्तुत है श्री संजय सिंह जी के गीत के उत्तर रूपी प्रतिप्रश्न जिसका शीर्षक है....
#लाडली

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23 DEC 2022 AT 18:41

तुम्हें जाना है तो जाओ तुम्हें इजाजत है
मुझे जी भर के सताओ तुम्हें इजाजत है
जाओ, ले जाओ मेरी रूह, मेरे जिस्म से दूर,
मुझे मुझसे ही चुराओ, तुम्हें इजाजत है।
वो एक रात और उस रात की मुलाकातें,
जिसे भी चाहो बताओ, तुम्हें इजाजत है।
धो चुके आंसू तेरे, तेरी आँखों के काजल,
जाओ अब हमको रुलाओ, तुम्हें इजाजत है।
मेरे तराने, मेरे गीत के अक्षर-अक्षर,
अब अपनी राग में गाओ, तुम्हें इजाजत है।
ये मेरा प्यार, ये घर-बार, हमारा आंगन!
बिखेर दो या बनाओ, तुम्हें इजाजत है।

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