"मम्मी"
नयनों में नीर, हृदय में केवल दुःख के बादल छाए हैं,
नन्हीं-नन्हीं अंजुरि में आशाओं के दिये जलाए हैं,
हम भी संतान तुम्हारे हैं, हम भी तो तेरे जाए हैं
अपना लो हमें हे जगदम्बे हम द्वार तुम्हारे आये हैं,
अपना लो हमें हे जगदम्बे हम द्वार तुम्हारे आये हैं,
(पूरी कविता कैप्शन में पढ़ें)
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अब किससे क्या छिपाए, हक़ीक़त बयां करे
सारी ख़ुदाई तुमसे, मोहब्बत बयां करे,-
सफलता एक सार्वजनिक उत्सव है, आप और कुछ लोग, जो आपका अच्छा चाहते हैं, वे प्रसन्न होते हैं और उत्सव मनाते हैं।
विफलता केवल आपके लिए एक व्यक्तिगत शोक है, इसमें आपकी सफलता पर प्रसन्न होने वाले लोगों के अतिरिक्त बचे लोग उत्सव मनाते हैं।-
मची है खलबली, अब हाकिमों-नवाबों में,
वो जी रहा है बन के बादशाह, अभावों में,
उसके तन पर के एक कपड़े से सर्दी बेअसर!
है तरक़्क़ी बहुत ही फ़ाइलों-किताबों में,
(पूरी ग़ज़ल कैप्शन में पढ़ें और
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तेरी आँखों का नूर, आँखों से ही, पी कर के,
मैं भी हो जाऊं नामचीन, आशिक़ी कर के।
ये नज़ाक़त, ये नफ़ासत, ये हुस्ने-दो-आलम,
ऐ वक़्त थम जा ज़रा, देख लूँ मैं, जी भर के।
क्या बयान करूँ हाले-दिल, मगर सुन लो,
मैं जी रहा हूँ मोहब्बत में ख़ुदकुशी कर के।
तुम्हें है अख़्तियार, मानो या ना मानो मगर,
मैं खुश हूँ नाम तेरे, अपनी ज़िंदगी कर के।
कि बेहिसाब अमीरी में जिये जाता हूँ,
मयख़्वार बन के, तेरी मयकशी कर के।-
संवर जाए मेरा जीवन, तेरी तकदीर बन जाये,
हमारे प्रेम की प्रेमिल-सी एक तस्वीर बन जाये,
बस इतनी आरजू है तुमसे मेरी ऐ मेरे जाना
मैं बन जाऊं तेरा रांझा, तु मेरी हीर बन जाये,
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कभी धरती न मिली तो कभी अम्बर न मिला,
मिली न धूप कभी साया ए शज़र न मिला,
बहुत से दोस्त मिले और अनेक दुश्मन भी,
मज़े की बात है कोई भी वक़्त पर न मिला,
पूरी ग़ज़ल कैप्शन में....-
कभी धरती न मिली तो कभी अम्बर न मिला,
मिली न धूप कभी साया ए शज़र न मिला,
बहुत से दोस्त मिले और अनेक दुश्मन भी,
मज़े की बात है कोई भी वक़्त पर न मिला,
पूरी ग़ज़ल कैप्शन में...-
कभी बरसा के अपनी चाहतों को,
बड़ा आबाद करता है मुझे वो,
कभी एक शोख़-सा अंदाज़ ले के,
नज़रअंदाज़ करता है मुझे वो,-
होली
आओ मनाएं रंगों का त्यौहार होली में,
बसाएं अपने प्रेम का संसार होली में,
कान्हा ने बुलाया है तुम्हें बरसों बरस तक,
अब आ भी जा, ओ गोरी, इस बार होली में..
(पूरा गीत कैप्शन में)
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