कुछ ज्यादा ही गिरती है ओस इन दिनों,
लगता है ये जनवरी भी तुम्हें बहुत याद करता है ...-
बस यूं ही...
माथे की लकीरों, थोड़ी देर मिट जाओ
आज चाय पर मैंने ,चांद को बुलाया है ...-
कुछ दिनों के लिए अपनी यादों को वापस बुला लो,
कई रातों से अब तक मैं सोया नहीं ...-
तुमसे बात करने के लिए
हम रात होने का इंतजार करते हैं,
दिन इतना लंबा क्यूं होता है
खुदा से हम ये सवाल करते हैं...-
आहिस्ता आहिस्ता दबे पांव आया करो मेरे कमरे में ,
झुमके की आवाज से तुम्हारे ख्यालो में खलल पड़ती है ...-
चाहत तो बहुत है तुमसे बात करने की,
पर तुम्हें यकीन दिलाने के लिए
हम जिंदगी के आखिरी लम्हे का इंतजार कर रहे हैं...-
तू उदास मत हो तेरी उदासी सह नहीं पाऊंगा,
तेरी खुशी के लिए जमाना तो क्या वक्त से भी लड़ जाऊंगा...-
जानता हूं एक दिन सब कुछ खत्म हो जाएगा,
पर तेरा साथ हो तो हर वक्त मुस्कुराएगा...-
तुम्हें भुला दे ये हमारे वश में नहीं ,
साल बदल जायेगा पर हम नहीं ...-
गए थे उनको समझाने कि यू इस तरह गुस्साया न करें
और उनके रूठने के अन्दाज़ पर दिल हार आये...-