Praveen Poonia   (P.P.)
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Joined 13 September 2021


Joined 13 September 2021
18 FEB 2022 AT 11:25

कलम से दोस्ती कुछ इस तरह हुई,
जख्मों के दर्द भी अब लिख कर महसूस करता हूं।

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14 FEB 2022 AT 11:05

फ़क्र से सर उपर हो गया उस माँ का,
जिसका बेटा देश के लिए शहीद हुआ।
उस औरत ने भी खुशी खुशी गुजार ली अकेले ज़िन्दगी,
जिसका पति इस देश के लिए शहीद हुआ।
बहन ने भी बांधी हर उस भाई को राखी,
जो उसकी रक्षा करता हुआ देश के लिए शहिद हुआ।
वो बेटा भी कर रहा है तैयारी जाने की,
जहां उसका पिता इस देश के लिए शहीद हुआ।

शहीदों को नमन— % &

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6 FEB 2022 AT 13:32

इतने करीब से जानने की कोशिश मत कर तू मुझे,
मैं बिखर चुका हूं,
तेरे सवरने के दिन है।— % &

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5 OCT 2021 AT 21:22

अकेला बैठा
कोरा कागज
खराब कर रहा हूं।
लबो से
आंसू पीकर
शराब कर रहा हूं।

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29 SEP 2021 AT 7:44

तकलीफ-ए-गम ,
हर दर्द का हिसाब रखता हूं,
दिल में छुपा कर मैं ,
हकीकत की एक किताब रखता हूं।

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23 SEP 2021 AT 20:27

ख्वाब और सच के दरमियां
सिर्फ तेरी मौजूदगी का फर्क है।

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20 SEP 2021 AT 18:05

सुकून नहीं है,
कहीं भी,

राहत नहीं है,
कहीं भी,

दिलजलों के दिल भी
ठंडे हो चुके है,

मर कर भी,
चाहत नहीं है,
कही भी,

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14 SEP 2021 AT 14:19

उसने कहा था,
साथ जिएंगे,
होंगे ना जुदा कभी,
उसने सिर्फ कहा था।

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14 SEP 2021 AT 7:57

मैं अधूरा हू इसलिए,
याद हू तुम्हारे,
जिस दिन पूरा हो जाऊंगा,
जमाना जला देगा मुझको।

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