Praveen Nautiyal   (कश्मकश(Praveen_Nautiyal))
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Joined 4 April 2020


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18 APR 2021 AT 1:21

उजाले की इस चमक में शायद, हम हम-से ना हो सके।
क्या पता अधेंरों की रोशनी में, कुछ-पल गुनगुना ही सके।।
हमारे अश्क़ भी अाज, इस अँधेरे के मोहताज हैं।
कह दें वो भी कुछ ऐसा, जो कभी किसी से ना कह सके।।

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5 APR 2021 AT 2:01

उजाले की इस चमक में शायद, हम हम-से ना हो सके।
क्या पता अधेंरों की रोशनी में, कुछ-पल गुनगुना ही सके।।
हमारे अश्क़ भी अाज, इस अँधेरे के मोहताज हैं।
कह दें वो भी कुछ ऐसा, जो कभी किसी से ना कह सके।।

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21 JUL 2020 AT 18:40

मैं तो हर-पल इंतज़ार में था।
तुम सुनकर तो देखते,
मेरे गुनगुनाने में भी प्यार था।
निगाहें मिलाकर तो देखते,
तस्सवुर मेरा इकरार में था।
होते हम किसी के कभी,
पर रंग तुम्हारा ही बरक़रार था।।

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21 JUL 2020 AT 18:29

तेरी तक़दीर का मुक़द्दर।
पर सोचकर,
मैं रूक जाता हूँ।।
यादों का सैलाब,
रूलाता है मुझे हर वक़्त।
पर थक-कर
मैं सो ही जाता हूँ।।

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21 JUL 2020 AT 18:23

आज मेरी आँखों में सैलाब आया है।
मेरे हिस्से के आँसुओं का आज,
फिर एक मक़ाम आया है।।

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17 JUL 2020 AT 10:20

आज किसी को याद आ ही गया।
वो चाँद सी चमक सा उजारा,
किसी की नज़रों को भा ही गया।।
यादों की तरफ़ ज़रा देखा तो,
और नाम उसका ज़ुबाँ पर आ ही गया।
जाता रहा मैं दूर जिस नाम से,
आज फिर वो क़रीब आ ही गया।।

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16 JUL 2020 AT 8:55

अब बीता हुआ वो पल यहाँ।
हो ना सका जो मेरा कभी,
था मेरा वो कल वहाँ।।
दिल के दिल को है मिला,
धोखा ये ऐसा इश्क में।
अंजाम उसका यह हुआ,
सोता है वो अब इश्क में।।


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13 JUL 2020 AT 17:22

रहती हो मेरी मंज़िल,
कभी बहाने से पास भी आ जाओ।
तुम तो जीने का सबब हो मेरे,
आकर कानों में कुछ तो कह जाओ।।

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13 JUL 2020 AT 17:17

तब हम दिन की थकान मिटा रहे थे।
और चाँद जब रक़ीब बना,
तब हम रातों को गिनती गा रहे थे।।

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13 JUL 2020 AT 17:14

है वो रात के अंधेरे में,
तब तक सूरज की तासीर रास नहीं आती।
और जब तक कोई अपना पराया नहीं हो जाता,
तब तक उसकी कभी याद नहीं आती।।

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