उजाले की इस चमक में शायद, हम हम-से ना हो सके।
क्या पता अधेंरों की रोशनी में, कुछ-पल गुनगुना ही सके।।
हमारे अश्क़ भी अाज, इस अँधेरे के मोहताज हैं।
कह दें वो भी कुछ ऐसा, जो कभी किसी से ना कह सके।।-
*Literature or music, समझने कि... read more
उजाले की इस चमक में शायद, हम हम-से ना हो सके।
क्या पता अधेंरों की रोशनी में, कुछ-पल गुनगुना ही सके।।
हमारे अश्क़ भी अाज, इस अँधेरे के मोहताज हैं।
कह दें वो भी कुछ ऐसा, जो कभी किसी से ना कह सके।।-
मैं तो हर-पल इंतज़ार में था।
तुम सुनकर तो देखते,
मेरे गुनगुनाने में भी प्यार था।
निगाहें मिलाकर तो देखते,
तस्सवुर मेरा इकरार में था।
होते हम किसी के कभी,
पर रंग तुम्हारा ही बरक़रार था।।
-
तेरी तक़दीर का मुक़द्दर।
पर सोचकर,
मैं रूक जाता हूँ।।
यादों का सैलाब,
रूलाता है मुझे हर वक़्त।
पर थक-कर
मैं सो ही जाता हूँ।।-
आज मेरी आँखों में सैलाब आया है।
मेरे हिस्से के आँसुओं का आज,
फिर एक मक़ाम आया है।।-
आज किसी को याद आ ही गया।
वो चाँद सी चमक सा उजारा,
किसी की नज़रों को भा ही गया।।
यादों की तरफ़ ज़रा देखा तो,
और नाम उसका ज़ुबाँ पर आ ही गया।
जाता रहा मैं दूर जिस नाम से,
आज फिर वो क़रीब आ ही गया।।-
अब बीता हुआ वो पल यहाँ।
हो ना सका जो मेरा कभी,
था मेरा वो कल वहाँ।।
दिल के दिल को है मिला,
धोखा ये ऐसा इश्क में।
अंजाम उसका यह हुआ,
सोता है वो अब इश्क में।।
-
रहती हो मेरी मंज़िल,
कभी बहाने से पास भी आ जाओ।
तुम तो जीने का सबब हो मेरे,
आकर कानों में कुछ तो कह जाओ।।-
तब हम दिन की थकान मिटा रहे थे।
और चाँद जब रक़ीब बना,
तब हम रातों को गिनती गा रहे थे।।-
है वो रात के अंधेरे में,
तब तक सूरज की तासीर रास नहीं आती।
और जब तक कोई अपना पराया नहीं हो जाता,
तब तक उसकी कभी याद नहीं आती।।
-