सूनी सूनी थी फ़ज़ा
सजती,संवरती,उसकी
शामली सी अदा।
नजर भर कर देखूँ
फूलों की वादियों में लहराती
खुशबु की हवा।
जाम बनकर पी जाऊँ
वो शबनम का नशा
इश्क़ की रंगत में
रंग गया मैं उसका नशा ।
सूनी सूनी थी पडी
भौरों की फ़ूलों पर घटा
मैंने देखा जी भर उसे
उसने देखा पल भर मुझे
उसकी जुल्फों में लहराती
बादलों की काली घटा।
सूनी सूनी थी फ़ज़ा
सजती,संवरती,उसकी
शामली सी अदा।-
•कविता,शायरी,ग़ज़ल
छोटा सा परिन्दा हूँ दिल_ए_अल्फाज लिखता हूँ ।
बीते हुए कल को अपनी क... read more
दिल में जो राज है उन्हें छुपा कर रखो
दिल्लगी करने वाले दिल सम्भाल कर रखो।-
तू रूठ भी जाये मुझे कोई ग़म नहीं है
अंदाज़ तेरी बे-रूख़ी से हम वाकिफ़ है।
मैं नहीं हूँ परेशान तेरी ख़ातिर हमदम
चाहा था तुमको अब चाहते नहीं हैं हम।
मुझे अंधेरे में रखकर रोशन किया घर किसी का
अब करता है तुम्हें परेशान अंदाज़ उसका।
लुटा दी दिल की सारी दौलत तुम्हें एहसास तक नहीं
तुमने पकड़ा किसी और का साथ मुझे पता तक नहीं।
तुम्हारी नई दुनिया तुम्हें मुबारक मुझे पूछ तो लो
करता तो नहीं है परेशान जरा देख तो लो।
तू बिछड़ जाये,रूठ जाये फक़त मुझे क्या लेना
अंदाज़ तेरी बे-रूख़ी से बहुत हम वाकिफ़ है।
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आज ग़मों में एक साथ है शाम और हम
अंत होगा दोनों का शाम का सुबह मेरा जाने कब,
मुश्किल में हम दोनों है उसे डर रोशनी का मुझे अंधेरे का
आज ग़मों में एक साथ है शाम और हम।
बहती नदियाँ बहती जाये जाने ठहरेगी कब
उम्र गुज़रती जाती है कई सारी उलझनो में
कुछ समझ में नहीं आ रहा हम दोनों को
उलझनों में हम दोनों है एक साथ शाम और हम ।
कोई जाने या ना जाने कैसे दोनों तड़पे हम
एक ही धारा में बहने वाले एक ही जैसे ठहरे हम
अंत होगा दोनों का शाम का सुबह मेरा जाने कब,
आज ग़मों में एक साथ है शाम और हम ।
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दुनिया की बातें मत सुन ख़ुद को मज़बूत बना
इसका काम है भटकाना अपना एक लक्ष्य बना।
साथी तेरा सबसे अच्छा अपनी मेहनत को बना
जो तोड़ दे चट्टानों को खुद को दशरथमांझी बना।
किस्मत भी बदलेगी प्रवीण वक़्त को अपना बना
लोगों का काम है कहना कुछ पल खुद को बहरा बना।
चलता जा आहिस्ता-आहिस्ता खुद का पथ बना
वक़्त एक सा नहीं रहता तू प्रवीण बस चलता जा।
दुनिया की बातें मत सुन ख़ुद को मज़बूत बना
मालिक बन अपनी किस्मत का खुद को इस तरह बना।
टेक लगा अपने सतगुरु की दुनिया की बातें मत सुन
इसका काम है भटकाना अपना एक लक्ष्य बना।-
घर याद आता है जब कुछ याद नहीं आता
निगाहें ताकती है राहें कुछ समझ नहीं आता।
मम्मी पापा की तस्वीर देखकर खुद को समझाते है
घर की जिम्मेदारी है उसे भी ख़ुशी से निभाते है ।
घर पर बैठा हूँ मैं पैसों की ख़ातिर हालात खराब है
बाहर होता हूँ जब मुझे घर याद आता है।
अब इसे मज़बूरी समझूँ या मैं बदकिस्मत हूं
कुछ कर नहीं पा रहा हूँ तब घर याद आता है।
हालतों का मारा हूँ अंदर से टूट चुका हूं
हर दिन एक नई उम्मीद के साथ जीता हूँ।
घर याद आता है जब कुछ याद नहीं आता
निगाहें ताकती है राहें कुछ समझ नहीं आता।
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मत कर तौहीन इश्क़ की यह खुदा की नवाजिस है
जिस्मानी इश्क़ छोड़ यह रूहानी इश्क़ का सफ़र हैं।
जो इसकी लज्जत को ना समझे वो इश्क़ कहां है
इश्क़ में डूबकर रंग जाये सच्चा आशिक वही है।
इश्क़ की तौहीन करने वाले इसे बदनाम ना करो
जब दिल टूट जाये तुम्हारा तुम ग़म में जिया करो।
हमने भी की थी मोहब्बत वो उसे निभा ना सके
उनका तोड़ा दिल किसी ने खुद को सम्भाल ना सके।
मत कर तौहीन इश्क़ की यह खुदा की नवाजिस है
जिस्मानी इश्क़ छोड़ यह रूहानी इश्क़ का सफ़र हैं।-
उससे रिश्ता नहीं रहा लेकिन प्यार उसी से करता हूँ
क्या कहते हो कितनी बेइंतिहा मोहब्बत करता हूँ।
उसकी यादों में लिखता हूँ अपनी यार मोहब्बत थी
उससे रिश्ता नहीं रहा तो क्या प्यार उसी करता हूँ।
चाहे जैसा कह लूँ उसको लिखता हूँ उसकी यादों को
दिल मिले फिर नैन मिले कुछ पल के लिए पुष्प खिले
बगिया माली रखाता रहा पुष्प किसी और ने तोड़ लिये
अपना क्या हम आश़िक है,आशिकी करने लगे।
उससे रिश्ता नहीं रहा लेकिन प्यार उसी से करता हूँ
क्या कहते हो कितनी बेइंतिहा मोहब्बत करता हूँ।-