हर पल तेरे साथ रहूँ मैं, अब
ऎसा कोई कमाल कर दो,
माथे की तुम बिंदिया कर दो,या
कर दो हाथों का कोई रुमाल मुझें।-
यह जमाना उसे पागल कहता है,
वो शख़्स शायरी भी किया करता है,
जरा देखो झाँक कर उसके जहन में,
कोई होगा जिसके लिए वह हर रोज मरता है।-
एक आरजू है तुझ पर मर जाने की,
एक ख्वाहिश है संग तेरे जीने की,
इश्क़ ज़हर है ज़माने वाले बतलातें है,
एक मन्नत है, जहर ये तेरे लिए पीने की।-
किसने दी आवाज की दिल ये फिर धड़क उठा है,
पता करो उस शख़्स का जो मुझसे बेइंतहा रूठा है।-
पायल से टूटकर घुँघरू जो आँगन में गिरे,
क़सूर सिर्फ पैरों का तो नही है,
मारने को अपने भी बेताब खड़े है राहों में,
कसूर सिर्फ गैरों का तो नही है।-
जाने किसकी दुआ ये कुबूल हुई,
साँसे बिखरीं और बिखर कर धूल हुई,
ढाँक रहे है मुँह बनाकर दूरिया भी, मानो
हमसे ही गहरी कोई तो भूल हुई।-
इश्क़ के धागे में रोज एक गांठ जुड़ती जा रही है,
दोनों सिरों से धागा भी रोज छोटा होता जा रहा है।-
हमनें हँसना भी चाहा तो ज़माने को हमारे लब नही भाये,
हमनें जो रोने की इजाज़त मांग ली तो शर्त ये थी आँसू दिख नही पाए।-
जाने कितनी ही मुद्दतों बाद आयी है,
एक तारीख़ से सबको माँ याद आयी है-
जुबानों पर आज नाम उसका क्यूँ इतनी बार आया है,
पता करो माँ के हिस्से भी क्या कोई त्यौहार आया है?-