दिल को शुकून रूह को आराम आ गया!
मौत आ गयी तो दोस्त का पैगाम आ गया!!
ज़ब कोई जिक्र गर्दिसे अइय्याम आ गया!
बेइख़्तियार लब पे तेरा नाम आ गया!!
दीवानगी हो अक्ल हो उम्मीद हो की आस!
अपना वही है वक़्त पे जो काम आ गया!!!
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सिखादो फन कुचलने का हुनर मासूम बच्चों को
की इनको काटना है जिंदगी साँपो की बस्ती मे-
तुमको मे अपने उसूलों कि कसम देता हूँ!
मुझको मज़हब के तराज़ू मे ना तोला जाये ¡!
मैंने इंसान ही रहने कि कसम खायी है!
मुझको हिन्दू या मुसलमान ना समझा जाये!!-
अगरचे मिसले हिज़ाज़ी नहीं हूं!
अगरचे मिसले सहाबी नहीं हूँ!!
मियाँ आप इतनी हैरत से क्यों देखते हो
मै हिन्दू हूँ कोई बहाबी नहीं हूँ!!
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रिश्तों कि केहंकशा सरे बाजार बेचकर!
घर को बचा लिया दरों दीवार बेचकर!!
शोहरत कि धूप हमको कहाँ लेके आ गई!
हम मोहतरम हुए भी तो किरदार बेचकर!!
वो शख्स शूरमा है मगर बाप भी तो है!
रोटी खरीद लाया है तलवार बेचकर!!-
चाहत के रंग और भी गहरे ना हो सके!
मज़बूत अपने प्यार के रिश्ते ना हो सके!!
तुझको हमारे जैसा कोई और मिल गया!
हम तेरे बाद और किसी के ना हो सके!!
मेरा तमाम धूप मे जलता रहा बदन!
सर पर तुम्हारी जुल्फ के साये ना हो सके!!
मैंने तमाम उम्र सहारे दिये उन्हें!
अफ़सोस है वो लोग हमारे ना हो सके!!-
बस इतनी देर मे दिल पर मेरी गिरी बिजली
नकाब रुख से हटाया हटा के छोड़ दिया
खुदा करे वो परेशानियों मे आ जाये
की जिसने मुझको परेशान बना के छोड़ दिया
ख़ुशी से जाके मिले गैरों से वो महफ़िल मे
निगाहेँ मुझसे मिलायी मिला के छोड़ दिया-
मेरे दिल का रंग भी शायद सफ़ेद है!
जो भी आता है दाग़ लगा के जाता है!!-
मेरी दास्तांने हसरत वो सुना- सुना के रोये!
मुझे आज़माने वाले मुझे आज़मा के रोये!!
कोई ऐसा अहले दिल हो, के फ़साना ऐ मोहोब्बत!
मैं उसे सुना के रोऊँ वो मुझे सुना के रोये!!
मैं हूँ बेवतन मुसाफिर,मेरा नाम बेबसी है!
मेरा कोई भी नहीं है जो लगे लगा के रोये!!
मेरे पास से गुजरकर मेरा हाल तक ना पूछा!
मैं ये कैसे मान जाऊँ के वो दूर जाके रोये!!
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शराफ़तों की यहाँ कोई अहमियत ही नहीं
किसी का कुछ न बिगाड़ो तो कौन डरता है-