Praveen Kumar   (अधूरा इश्क)
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Joined 19 March 2020


Joined 19 March 2020
1 JUN 2022 AT 21:22

गर्मी के मौसम में आम,
छोटे बच्चे दौड़ते सुबहो शाम।
लूटने को कच्चे और पके आम,
ये धूल भरी आंधी चलती सुबहौ शाम।

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1 JUN 2022 AT 21:10

जीवन के अनंत रंगो में
अपना भी एक अलग रंग है।

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22 FEB 2022 AT 22:55

जिंदगी एक ही बार मिलती है,
और मरते पल पल है, तो क्यों ना
इसका मिलकर लुफ्त उठाया जाएं।

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18 FEB 2022 AT 11:11

कौन हो तुम –

जो कभी न खत्म हो, वो इंतजार हूं मैं।
उम्मीद से बढ़कर, बेपनाह प्यार हूं मैं।
हूं इस जहां में ,लोगो की आखिरी मुलाकात हूं मैं।
पवित्र स्थलों पे मांगा जाने वाला दुआ भी हूं मैं।
शब्दों में बयां ना हो,अहसास रूपी भाव भी हूं मैं।
जो बर्दास्त न हो वो अश्रु हूं मैं,
सही समझे, अधूरा इश्क हूं मैं।

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14 FEB 2022 AT 23:38

रोज डे पे निराश हुआ,
वेलेंटाइन डे पे अहसास हुआ।
तमन्ना नही तुझे पाने की,
चाहत है हर किसी के हो जाने की।
मैं भी हूं स्वतंत्र नागरिक,
रास्ता मुझे भी तो बदलना है।
इस छोटी सी दुनिया से,
अब मुझे आगे निकलना है।

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9 FEB 2022 AT 19:05

इसमें भी छुपी कुछ बात होगी
तेरे ही सामने तेरे कर्मो का हिसाब होगी।
सोच से परे सजा ए नरक होगा,
जिसका मॉनिटर तेरा ही मामा होगा।

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1 FEB 2022 AT 16:32

चाहूं तुम्हें ,पीटू तुम्हें ,फिर जी भर रो लूं
कशिश न रहें दिल की..यादें बहुत सताएं।

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29 JAN 2022 AT 22:40

इतनी ठंड में हाथ में कॉफी का कप,
जिस्म पे अच्छी कपड़े और अपने घर
घर वालों से फोन पे बात हो
कहीं बात मां से जाए
फिर दुःख की जगह नहीं
फिर अहसास बयान होता नहीं
वो खुशी मन की नही अंतरमन की है।

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29 JAN 2022 AT 18:58

तन्हाइयों को जल्दी ही विदा करा देता है।
और खुद को खुद से पहचान करा देता है।
मुक्कमल हो जाती है ज़िंदगी जब,
दो जिस्म और एक जान करा देता है।

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27 JAN 2022 AT 20:51

दिल की बात तो दिल सुन ही लेता है,
लेकिन उन शब्दों का क्या जो हमें
वक्त वक्तपे पराया होने का अहसास कराता है।

हमे तो बस अपनापन चाहिए था ना,
पर शब्दों से बेरुखी मिला मुझे
उसका क्या करें।

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