Praveen Chaurasia   (solitary.thoughts_)
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Aesthetic

Er.
Rishikesh ~ Delhi
Joined 27 December 2020


Aesthetic

Er.
Rishikesh ~ Delhi
Joined 27 December 2020
19 AUG 2023 AT 21:33

तेरा बोया हुआ गुलाब हूं, खिलूंगा नहीं
तू तमाम कोशिश करले अब मिलूंगा नहीं

क़सूर लहरों का नहीं, मेरी पुरानी कश्ती का था
इक सुराख तुने भी किया, कुछ कहूंगा नहीं

तेरी आंखों की खता, जो मुझे देख ना पाईं
इलाज महंगा कराले पर अब दिखूंगा नहीं

बंजर जमीं पे उगा हुआ शजर हूं मैं
तूफान कितने भी आएं, हिलूंगा नहीं

जो जल जाते थे मेरे साथ तुझे देख, सारे रकीब
फ़क़त उन्हें तू चूम भी आए, मैं जलूंगा नहीं !

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1 AUG 2023 AT 21:13

दुनियादारी छोड़ जाने का बहाना नहीं मिलता
परिंदे को पनाह तो मिलती है आशियाना नहीं मिलता

ये ऊंची इमारतें, चमकती रातें काफ़ी है मगर
मन के फकीर को दुरुस्त ठिकाना नहीं मिलता

बड़े शहर का हर मिजाज़ चख लिया, मेरे दोस्त
वो गांव का सुकून वो मौसम सुहाना नहीं मिलता

अकसर चला जाता हूं उन्हीं पुरानी गलियों में
शख्श वही मिलता है पर वो दोस्त पुराना नहीं मिलता

और झूठ कहता है साकी, शराब हर दर्द की दवा है
मेरे रंज-ओ-गम मिटा दे ऐसा कोई मयखाना नहीं मिलता !

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11 JAN 2022 AT 22:27

न पूछो मुझसे, क्यूं लिखना छोड़ दिया
क्यूं पहली मोहब्ब्त (कलम) से रिश्ता तोड़ लिया

एक हवा चल पड़ी थी मुझे खाक करने को
मैंने खाक को दीवार कर, हवा का रुख मोड़ दिया

मेरे अल्फाज पढ़ खुदकुशी पर उतर आए कुछ लोग
कोई बद्दुआ लगी और अल्फाजों ने कफन ओढ़ लिया

जश्न है बाजार में के बिखरा हूं मैं तिनका-तिनका
देखो इन्हीं तिनकों से, किसीने एक मकां जोड़ लिया !

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16 OCT 2021 AT 18:58

ठहरा है जो दरिया , कहीं सैलाब ना हो जाए
किस्से बेवफाई के नज़्म-ए-किताब ना हो जाए
अब वो पूछता नहीं मुझसे वजह,मेरे ना लिखने की
वो खौफजदा है कि कहीं बेनकाब ना हो जाए!

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11 SEP 2021 AT 22:31

मैं चाहता हूं कि वो नासमझ बना रहे
समझदार हुआ तो बेवफा हो जाएगा !

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25 AUG 2021 AT 22:01

दिल हर जगह बहक जाए, फायदा क्या
आज इसपे कल उसपे आ जाए,फायदा क्या

वक्त बिताने वाले तो हजार मिलेंगे
साथ निभाने वाला ना मिले, फायदा क्या

अरे गैरों के पिछे भागो.. और
अपनों को नजर अंदाज करो, फायदा क्या

किसी पे तुम जां निसार दो
वो कहीं और शाम गुजार दे, फायदा क्या !

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27 JUN 2021 AT 20:48

पहले सांसों में बसा फिर हर सांस पे कब्जा कर लिया
इस मर्ज (corona) की आदतें भी मेरे महबूब सी है !

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26 JUN 2021 AT 20:42

We all encounter sycophants in life,
we engage in them
and
end up losing authentic people.

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19 JUN 2021 AT 20:01

बेरहम था जमाना कि तुम आए
शहर था वीराना कि तुम आए

उतरे थे हम भी नीलाम-ए-बाजार होने
बिकने को ही थे कि तुम आए

तूफानों से उलझ रहे थे जज़्बातों के दिए
बुझने को ही थे कि तुम आए

यूं तो जला दी थी हमने किताब शायरी की
कलम तोड़ने को ही थे कि तुम आए

लगा अब मुक्कमल नही सुकूं इस जहां में
फना होने को ही थे कि तुम आए !

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5 JUN 2021 AT 20:08

वो बेखबर है तो बेखबर रहने दे
ऐ खुदा मेरी दुआएं बेअसर रहने दे

सजा ऐसी हो कि ज़माना देखे
उम्रकैद है तो उम्रभर रहने दे

अब इश्क है मुझे इस फकीरी से
ठिकाना ना दे , दर-बदर रहने दे

बेवफा है मंजिल, रास्तों ने संभाला है
इस सफर को मेरा हमसफर रहने दे

रहे आंखे नम और हिज्र की रात का गम
मेरी यादों का असर उसपे इस कदर रहने दे!

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