मन थोड़ी सी शक्ति चाहता है रास्ता दिखा दे जो ज़िंदगी का समय ऐसी ही भक्ति चाहता है ज़्यादा देर अब और नहीं लगेगी नाम बस ज़ुबान पर आने वाला है दिल भी थकने लगा है आजकल धड़कन को आराम आने वाला है
जब परिंदा सफ़र पर चला सारी दुनिया घूमी फ़िर भी सुकून मिला जब घर मिला वीरान सा है आज वो आशियाना रौनक थी जब घर आना याद था दीवारें कुछ अनसुने क़िस्से समेटे हैं ये अकेला घर भी कभी आबाद था
बिल्कुल अपने पापा की तरह सबके दिलों में उतर जाना है बिल्कुल अपने पापा की तरह सिखाकर गए पापा जो कुछ हमें हर वो शब्द किताबों में मिलता है अकेला कभी महसूस नहीं होता बेटा पापा से ख़्वाबों में मिलता है
काग़ज़ कुछ मुड़ा रह गया छोड़ आए थे पीछे जो यादें धागा उससे जुड़ा रहा गया याद आ ही गईं वो सड़कें वो गलियाँ लगा जैसे कि मेरा शहर जलने लगा इससे पहले कि दोबारा ख़्वाब बुनते नए सवेरे का नया सूरज निकलने लगा
चढ़ने लगा है शायद मन में दबा वो प्यार बढ़ने लगा है शायद पूरे दिन तुम्हारे ख़्याली बने रहते हैं हम सुनो तुम अपनी नज़र उतार लिया करो देखनी हो तुमको अगर कभी मेरी पसंद तुम ख़ुदको ही शीशे में निहार लिया करो
अब संग शिकायत मत लाना इस बार सही रास्ता दिखाने सुनो ऐ ज़िंदगी तुम ही आना लिखते हैं मिटाते हैं कलम की स्याही को फिर भी नहीं आता भावनाओं को छिपाना पता है हमें सब कुछ ख़िलाफ़ है अभी मेरे ज़िंदगी तुम मेरी ताक़त किसीसे मत बताना
कहाँ ही मानता हमारा दिल है चलने को साथ तुम्हारा चाहिए तुम बिन मेरा सफ़र मुश्किल है मुस्कुराता देखकर लगता है कि दुनिया की हर ख़ुशी हासिल है मेरा चेहरा देखकर समझते हैं लोग कोई तो इसकी दुआओं में शामिल है
रास्ते आपकी तरफ़ मोड़े हैं आज आप सुनो पापा हमने आपकी यादों के लम्हे जोड़े हैं लगता ही नहीं आज भी हमें कि हम हर दुख से जीत गए अगस्त का वो सवेरा याद है और आठ महीने भी बीत गए
मेरी कोई ग़लती नहीं पर किस्मत के सामने मेरी कभी चलती नहीं पापा की तरह ही शायद हम भी अपने सारे अरमान छोड़ जाएंगे हमें तुम कभी भूल ही नहीं पाओगे हम पीछे इतने निशान छोड़ जाएंगे