Praveen Bajpai   (प्रवीण बाजपेई ✍🏻✍🏻)
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Author of the book "नज़र भर की रोशनी"
Co-Author of the book "Devi-Maa Durga"💐💐
Joined 26 June 2021


Author of the book "नज़र भर की रोशनी"
Co-Author of the book "Devi-Maa Durga"💐💐
Joined 26 June 2021
15 HOURS AGO

मन थोड़ी सी शक्ति चाहता है
रास्ता दिखा दे जो ज़िंदगी का
समय ऐसी ही भक्ति चाहता है
ज़्यादा देर अब और नहीं लगेगी
नाम बस ज़ुबान पर आने वाला है
दिल भी थकने लगा है आजकल
धड़कन को आराम आने वाला है

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26 APR AT 0:00

बात आगे बढ़ी नहीं
वो कवि जाग रहा है
शराब उसे चढ़ी नहीं
इससे पहले कुछ बोलते
अतीत चेहरे दिखा गया
रास्ते बदलने की सोचते
तभी मेरा घर आ गया

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24 APR AT 21:52

जब परिंदा सफ़र पर चला
सारी दुनिया घूमी फ़िर भी
सुकून मिला जब घर मिला
वीरान सा है आज वो आशियाना
रौनक थी जब घर आना याद था
दीवारें कुछ अनसुने क़िस्से समेटे हैं
ये अकेला घर भी कभी आबाद था

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23 APR AT 20:01

बिल्कुल अपने पापा की तरह
सबके दिलों में उतर जाना है
बिल्कुल अपने पापा की तरह
सिखाकर गए पापा जो कुछ हमें
हर वो शब्द किताबों में मिलता है
अकेला कभी महसूस नहीं होता
बेटा पापा से ख़्वाबों में मिलता है

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22 APR AT 10:34

काग़ज़ कुछ मुड़ा रह गया
छोड़ आए थे पीछे जो यादें
धागा उससे जुड़ा रहा गया
याद आ ही गईं वो सड़कें वो गलियाँ
लगा जैसे कि मेरा शहर जलने लगा
इससे पहले कि दोबारा ख़्वाब बुनते
नए सवेरे का नया सूरज निकलने लगा

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21 APR AT 20:04

चढ़ने लगा है शायद
मन में दबा वो प्यार
बढ़ने लगा है शायद
पूरे दिन तुम्हारे ख़्याली बने रहते हैं हम
सुनो तुम अपनी नज़र उतार लिया करो
देखनी हो तुमको अगर कभी मेरी पसंद
तुम ख़ुदको ही शीशे में निहार लिया करो

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20 APR AT 17:50

अब संग शिकायत मत लाना
इस बार सही रास्ता दिखाने
सुनो ऐ ज़िंदगी तुम ही आना
लिखते हैं मिटाते हैं कलम की स्याही को
फिर भी नहीं आता भावनाओं को छिपाना
पता है हमें सब कुछ ख़िलाफ़ है अभी मेरे
ज़िंदगी तुम मेरी ताक़त किसीसे मत बताना

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18 APR AT 9:14

कहाँ ही मानता हमारा दिल है
चलने को साथ तुम्हारा चाहिए
तुम बिन मेरा सफ़र मुश्किल है
मुस्कुराता देखकर लगता है कि
दुनिया की हर ख़ुशी हासिल है
मेरा चेहरा देखकर समझते हैं लोग
कोई तो इसकी दुआओं में शामिल है

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14 APR AT 19:48

रास्ते आपकी तरफ़ मोड़े हैं
आज आप सुनो पापा हमने
आपकी यादों के लम्हे जोड़े हैं
लगता ही नहीं आज भी हमें
कि हम हर दुख से जीत गए
अगस्त का वो सवेरा याद है
और आठ महीने भी बीत गए

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12 APR AT 23:24

मेरी कोई ग़लती नहीं
पर किस्मत के सामने
मेरी कभी चलती नहीं
पापा की तरह ही शायद हम भी
अपने सारे अरमान छोड़ जाएंगे
हमें तुम कभी भूल ही नहीं पाओगे
हम पीछे इतने निशान छोड़ जाएंगे

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