मेरा क्या होगा, ये तो मुझे भी नहीं पता है
हाल न पूछो मेरा, सब कृष्ण के सहारे गुज़रा जा रहा-
कृष्णाभावनाभवति
प्रयागराज(संगम नगरी) का रहने वाला हुँ,
इसलिये शब्दो का संगम किय... read more
पहले जिस रास्ते को देख कर
उस रास्ते पर जाने का मन करता था।
आज उसी रास्ते को देख कर
दूसरे रास्ते पर मुड़ जाने का मन करता हैं।।-
पता पूछते पूछते मेरा
मैखाने तक गए वो
जिन्होंने कभी कसमें खाई थीं
उम्र भर चेहरा न देखने की-
छोड़ गए कुछ जल्दी आप मुझे
पहुँच गए आप वहाँ कुछ जल्दी
चलिये मिलते हैं वहाँ आपसे
जहाँ आप पहले पहुंच गए
वहाँ हम थोड़ा देर से पहुचेंगे।-
कच्ची उम्र में लोग सयाने हो चले,
कच्ची उम्र में लोग सयाने हो चले।
हम पहले से सयाने थे,
जो अब मस्ताने हो चले।।-
हम दीवाने हैं तेरे, ज़रा देख तो सही
हम दीवाने हैं तेरे जरा देख तो सही
पास आ तो सही
फिर दूर जाने को नही बोलोगी
जरा नज़र उठा के देख तो सही-
जो कण कण में मधुर हैं
जिनका वस्त्र मधुर हैं
जिनकी वाणी मधुर हैं
जिनका चलना मधुर हैं
जिनका हँसना मधुर हैं
जिनका बोलना मधुर हैं
जिनकी मित्रता मधुर हैं
जिनका प्रेम मधुर
जिनका साथ होना मधुर हैं
जिनका रूठना मधुर हैं
जिनका मनाना मधुर हैं
जो सब में मधुर हैं
मैं कृष्ण की आराधना करता हुँ
जो कण कण में मधुर हैं
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धर्म हमारा कुछ ऐसा की मरने के बाद भी
आग से खेलने की इज़ाजत देता हैं।।-