Pratyush Gautam   (प्रत्यूष गौतम)
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Joined 16 December 2018


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Joined 16 December 2018
8 FEB AT 23:47

कुछ बातें, कुछ 14 वर्ष पूर्व की यादें ,
जीवन की यात्रा के कई अनजाने रास्ते,
पश्चात इसके दशक बाद की ये मैत्री मुलाक़ात,
जो भर दिए आज के‌ इस सुहाने दिन‌ में मिठास !!

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22 JAN AT 4:03

विभूतिभूषित है अवध, रच सुरमई ऋचाएं,
नैन देखें अघायें अवध में राम को ।

बिठा मनन के समंजस, हिय मंत्रमुग्ध हो जाएं,
नयन हुए पावन, देखें जब सिया के राम को ।

राम की विभूति से है पुनीत, भाव नदियां स्वयं में समाएं,
जनमानस का हुए प्रशस्त मार्ग, स्मरण किए जब वाल्मीकि-तुलसी के राम को ।

पढ़ वेद-उपनिषद है रोमांचित धरा, वायु भी धुन राम के गाएं,
चेतन हुए मेरे धन्य, अनुभूत किए जब लक्ष्मण-भरत के राम को ।

उर्मिला की प्रतिक्षा सी, पूर्ण हो सुरभित दशों दिशाएं,
काल का हुआ कल्याण, संदर्शन किए जब निषाद-शबरी के राम को ।

यह पुण्यमही नगरी अयोध्या, सरयू के जलधि से है सिंचाएं,
सुनो कर्णप्रिय जयकारे सुरीली, यह ध्वनि समर्पित बजरंगी के राम को ।

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18 NOV 2023 AT 15:23

बज रहे तार हिय के, छठ पूजा के महा अनुष्ठान में ।
गीत कविता छंद मुक्तक, सब निःशब्द होंगे बखान में ॥

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22 OCT 2023 AT 8:57

हे मां महिषासुर मर्दिनी,
आनन्दातिरेक जीवंत करो !!

हे विंध्य शिरोमणि मां विंध्यवासिनी,
विद्यावारिधि समाविष्ट करो !!

हे रम्य कपर्दिनि देवी नारायणी,
कुसुमित हिय विशद करो !!

हे मां महागौरी, शारदा भवानी
सर्व क्लेश अनुतोष करो !!

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11 SEP 2023 AT 13:10

वृहत्तर स्नेह-संस्कृति छत्र तले,
अतिशय प्रणय का प्रमाण ।
स्नेह अंकुरित अभिव्यक्ति सरलतम,
सौम्य रूप कर रहे सब बखान ॥

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20 JUL 2023 AT 22:59

है विदारित हृदय अंतस तक, यह मनुष्यता का विध्वंस हैं ।
कर गया अपध्वंस आत्मा भारत की, प्रधान कहां सुप्त हैं ॥

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4 JUN 2023 AT 11:25

ट्रेन सा है ये जीवन का परिवहन,
कब पलट जाए किसे ज्ञात..

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21 MAY 2023 AT 8:43

प्रकृति की गोद में बनता स्नेही हवा‌‌ संग,
बैशाख के मौसम सी जगमगायें ये दिन कहीं खो गयीं ।
मन में उमंग लिए यादों की धार,
बसंत के माधवी लहरों सी नेह की स्मृतियों से भर गयीं ।




मेरे अधर पर हंसी की गंध संग,
सावन के आलिंगन सी सुरम्य शहर वो छुट गयीं ।
अब यहां भागदौड़ के बीच है रेंगती,
पतझड़ के चिर-क्रंदन सी यह जीवन हो गयीं ।

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4 APR 2023 AT 11:38

कभी कभी ना जिंदगी इन मुरझाते फूल सी प्रतीत होती है,
जो प्रकाश में उदीयमान प्रतीत होते !!
किन्तु है तो एक खात्मे की कहानी ही ना...
ठीक वैसे ही जैसे शादी के बंधनों में बंध कर भी,
नव अस्थायी प्रणय को डेटिंग साइटस पर ढूंढना !!

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11 MAR 2023 AT 23:45

मेरे श्वास के मध्य,
वो पल्लवित सा मुस्कान..
मंत्र उद्घोष करते,
ये नीला आसमान !!

आरोह अवरोह के तटस्थ,
नेह आभावान..
शब्द द्वंद करते,
कोई धुप रोशनदान !!

कर अंतस्‌‌ मस्तिष्क प्रसन्न,
लगा मिट्टी ललाट..
दे रहे वो वरदान,
परिणय हो लौ सी दीप्तिमान !!

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