किस्मत मेरी बड़ी अजीब है, किस्मत मेरी बड़ी अजीब है।जिसको चाहा उससे दूर हूँ।
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समझ ही नहीं आता किसे चुनूँ, तेरे रहने पर गम है, तेरे जाने से खुशी है। खुशी में गम हैं और गम में हम खुशी है।
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उनकी खुशी के लिए उनसे नाता तोड़ बैठे, हाँ उन्हीने तीज-त्योहार पर याद किया, पर हमने पलट कर जवाब न दिया, फिर भी न जाने क्यों इंतजार रहता कि एक बार तो मनाने आ जाये हमें।ये प्यार है या कुछ और ये तो नहीं पता हमको पर इत्ता जरूर पता है कि ,जिसने हमे सरे आम छोर दिया,आज भी उसको छुप छुप के देखने को जी करता है।
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Saamne dekhkar unko dil me halchal si hui.Dimag ne hoshiyar kar diya warna fir se ham tabah ho jaate.
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Ek afwah faila do...Ki tum mere ho..Mujhse jalne walon ko thoda or jala do
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हाँ मैं एक शिक्षक हूँ
हाँ मैं एक शिक्षक हूँ।
अपने से ज्यादा, अपने बच्चों के विषय में सोचती हूँ,
खुद को तैयार करती हूँ,
उनको तैयार करने के लिए।
भूत ,भविष्य ,वर्तमान खंगालती हूँ,
उनके भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए।
हाँ मैं एक शिक्षक हूँ।
खुद से दिन-रात लड़ती हूँ,
उनको मझधार से निकालने के लिए।
खुद बन जाती हूं उदाहरण,
परेशानियों से लड़ना सिखाने के लिए।
माना ज्यादा रुतबा नहीं है मेरा,
पर मैं हर एक रुतबे को तैयार करती हूँ।
हाँ मैं एक शिक्षक हूँ।
दिन भर रहती हूँ खड़ी,
घर हो या स्कूल बस ज्ञान बाँटते।
फँस जाते हो जो तुम भंवर में,
मैं नाव बन हमेशा तैयार खड़ी।
माना बहुत बड़े हो तुम धन से,
मगर यह ज्ञान भी पाया तुमने शिक्षक से,
हाँ मैं एक शिक्षक हूँ।
हो जाता फक्र से सर ऊँचा,
जब तुमको ऊंचाई पर देखती हूँ।
हो जाता है सीना चौड़ा सोचकर,
मैं एक भविष्य निर्माता हूँ,
हाँ मैं एक शिक्षक हूँ।
प्रत्यांशी द्विवेद-