Khamoshi ke lafzon me, khawaboo ka safarnama hai Aankho ke nagari me , aassuon ka dhal Jana h Zaar -o - Zaar uski har baatein Zehan me uski yaadon ka ek gharana hai Jahan me aur bhi dukh h par Juda ho kar bhi usse kyu ussi ka ho Jana h
हमने जो की थी मोहब्बत, आज भी है तेरी ज़ुल्फो के साये की चाहत आज भी है, रात काट ती है आज भी खयालो में तेरे, दीवानो सी वो मेरी हालत आज भी है, किसी और के ख़याल को उठती नहीं, बेईमान आँखों में थोड़ी सी शराफत आज भी है, चाह के एक बार चाहे फिर छोड़ देना तू, दिल तोड़ तुझे जाने की इजाज़त, आज भी है.
Zindagi m uljhne badhti ja rhi h....ya uljhano se jindagi bharti ja rhi h.....khne ko kuch khas nhi pr ek shor sa mann me krta ja rha h ... ke kuch uhi har roz ye zindagi mujhse dur hoti ja rhi h.....
हमारे बीच अब क्या है,में नही जनता सच बताऊ तो में जानना भी नही चाहता ये क्या है क्यों है इसे समझना मेरे बस में नही या यू कहूँ समझ कर कोई नाम देना नही चाहता, और ये मेरा हक नही है.
शाम-ए-महेफिल! चलो कुछ पुराने दोस्तों के, दरवाज़े खटखटाते हैं, देखते हैं उनके पँख थक चुके है, या अभी भी फड़फड़ाते हैं, हँसते हैं खिलखिलाकर, या होंठ बंद कर मुस्कुराते हैं, वो बता देतें हैं सारी आपबीती, या सिर्फ सफलताएं सुनाते हैं, हमारा चेहरा देख वो, अपनेपन से मुस्कुराते हैं, या घड़ी की और देखकर, हमें जाने का वक़्त बताते हैं, चलो कुछ पुराने दोस्तों के, दरवाज़े खटखटाते हैं !