Pratu Singh   (✍ प्रतीक सिंह)
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Joined 6 January 2020


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29 JAN 2022 AT 18:39

रोज़ शाम को आत्मसम्मान नीलाम होती है

हर नई सुबह एक नये जोश और इज्जत के साथ..

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28 JAN 2022 AT 17:18

हम उनके साथ कभी नही बैठते..

जो हर किसी के साथ बैठ जाते है..

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12 JAN 2022 AT 7:20

दिल नाउम्मीद तो नही
नाकाम ही तो है...

लंबी है गम की शाम
मगर शाम ही तो है...

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11 JAN 2022 AT 15:11

प्रेम मे सब होते है

सब मे प्रेम नही होता...

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11 JAN 2022 AT 14:59

ठुकरा देता हूँ मै अक्सर जिल्लत भरे समंदर को...

सम्भाल लेता हूँ मै प्रेम भरे एक कतरे को
...

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29 SEP 2021 AT 11:52

हथेली पर रखकर नसीब
तू क्यों अपना मुकद्दर ढूँढता है.....


तू सीख उस समुंदर से
जो टकराने के लिए पत्थर ढूँढता है..

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16 SEP 2021 AT 0:13

जिन रिश्तों मे दम न रह जाए.

उन्हे दफना देना बेहतर होता है.

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11 SEP 2021 AT 18:08

हमने सूरज की रोशनी मे भी
अदब नही खोया/


कुछ लोग जुगनू की रोशनी मे ही
मगरूर हो गए/

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9 SEP 2021 AT 19:36

एक ही दरवाजे पर
सर नवाजता हूँ साहब

हर दरवाजे पर
दौड़ने की तल्लीम ही नही रही.

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29 NOV 2020 AT 11:17

दिल बहलाने का सामान ना समझा जाए।


अब हमे भी इतना आसान ना समझा जाए।

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