रोज़ शाम को आत्मसम्मान नीलाम होती है
हर नई सुबह एक नये जोश और इज्जत के साथ..
-
Pratu Singh
(✍ प्रतीक सिंह)
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जय श्री राम🚩
भारतीय
इलाहाबाद विश्वविद्यालय
प्रयागराज
यू पी एस सी
सेवा समर्पित स्वाभिमान नही.. read more
भारतीय
इलाहाबाद विश्वविद्यालय
प्रयागराज
यू पी एस सी
सेवा समर्पित स्वाभिमान नही.. read more
Joined 6 January 2020
29 JAN 2022 AT 18:39
12 JAN 2022 AT 7:20
दिल नाउम्मीद तो नही
नाकाम ही तो है...
लंबी है गम की शाम
मगर शाम ही तो है...-
11 JAN 2022 AT 14:59
ठुकरा देता हूँ मै अक्सर जिल्लत भरे समंदर को...
सम्भाल लेता हूँ मै प्रेम भरे एक कतरे को
...
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29 SEP 2021 AT 11:52
हथेली पर रखकर नसीब
तू क्यों अपना मुकद्दर ढूँढता है.....
तू सीख उस समुंदर से
जो टकराने के लिए पत्थर ढूँढता है..-
11 SEP 2021 AT 18:08
हमने सूरज की रोशनी मे भी
अदब नही खोया/
कुछ लोग जुगनू की रोशनी मे ही
मगरूर हो गए/-
9 SEP 2021 AT 19:36
एक ही दरवाजे पर
सर नवाजता हूँ साहब
हर दरवाजे पर
दौड़ने की तल्लीम ही नही रही.-