Pratishtha Tripathi   (प्रतिष्ठा त्रिपाठी)
928 Followers · 134 Following

read more
Joined 3 August 2018


read more
Joined 3 August 2018
23 OCT 2021 AT 15:57

-


23 JUN 2021 AT 20:37

मुसीबतें…
मेरे घर का पता ढूढ़ ही लेती हैं…
चाहें कितनी ही सिटकनियां चढ़ा दी जाए दरवाजों पर…
खिड़कियों की जगह उठा दी जाएं दीवारें...
दरारों में ठूस दिए जाएं कपड़े…
घर भर दिया जाएं रोशनी से…
चाहे हथियार लिए मैं खुद चौकन्ना खड़ी रहूँ…
वो सेंध लगा ही लेती हैं…
किसी अनदेखे कोने , किसी छूटी दरारों से…
आँखे तरेरे पहुँच आती हैं मुझ तक…

खैर !!
खुशियाँ मेरे पास ज्यादा नही ठहरती…
मुसीबतें कमसकम साथ निभाना जानती हैं…
सुख ज़िन्दगी के तजुर्बे नही देते…
ये हक़ीक़त वो भी जानती हैं…

मुसीबतें…!!
मुझे तराशने को ही तलाशती हैं…
वो मेरी खुशबू पहचानती है ।

-


27 MAY 2021 AT 16:07

परिंदो !!
थोड़ा और गाया करो इन दिनों....

उन घरो की खिड़कियों पर…
जिनके दरवाजों पर आजकल दस्तक नही होती ।

उन बेज़ार कानों में...
जो तीखे सन्नाटे से दूर आजकल मीठा शोर ढूढ़ते हैं ।

सुनाया करो कोई कल्पित मधुर कहानियाँ...
उन्हें जो त्रस्त हैं यथार्थ के कठोर सत्य से ।

गुनगुनाया करो कोई प्रेम गीत...
अकेले पड़ गए प्रेमी के मुंडेरों पर ।

पहुँचाया करो संदेश....
काँच के आर पार खड़े परिवार का ।

इन दिनों लोग दूर हैं , मजबूर भी ,
तुम्हे हैं उनके हिमायती बनने की ज़रूरत....

इन दिनों आदमजात पर संकट हैं....
तुम लेलो न अपने कंधो पर ये दारोमदार ।

-


13 JAN 2021 AT 21:23

नानी के हाथों में हिना सबसे सुगंधित लगती हैं ,
हथेलियों में महकता हैं बरसो का पका प्रेम ।

-


26 APR 2020 AT 12:00

कल्पना.....

-


22 APR 2020 AT 15:24

ये जो हैं मेरे हाथ में खिलौने सरीख……
बचपन में मेरी पहुँच से बहुत दूर हुआ करता था...
पापा का कैमरा...
जब फोन नहीं हुआ करते थे,
तब हुआ करता था ,ये पापा का कैमरा...
बचपन की हजारों यादों को कैद किया हैं इस कैमरे ने,
चाहें वो हम सब का पहली बार स्कूल जाने के लिए तैयार होना हो,
या भाई की बदमाशी...
पापा का ये कैमरा, हमेशा तैयार रहा हैं....
इसलिये आज एक फ़ोटो पापा के कैमरे के साथ..

-


4 JAN 2021 AT 19:06

मेरे शहर में ऊँचे पहाड़ नही हैं
न हैं बड़ी बड़ी झीलें ।
न हर सहर बर्फ़ पिघलती हैं यहाँ ,
न हर शब मेघ बरसते हैं ।
न मीलों लंबी खाली सड़के हैं ,
न कोई ऊँचे हवा महल जहाँ से देखें जा सके.....
शहर भर के छोटे - बड़े मकान ।

मेरा शहर ऐसी किसी लौकिक सुन्दरता का हिस्सा नही हैं ।
ये प्रसिद्ध है अपनी अलौकिकता के लिए ।
इलाहाबाद को खास बनाते हैं ,
यहाँ के देवालय , शिवाले ,
यहाँ की हवाओ में भिनती अपरिमित आस्था ।
देव स्थानों पर महकते बेला , गुड़हल ।
बरगद से लिपटे सैकड़ो मन्नत के धागें ।
घंटियों और मंत्रो का मध्धम स्वर ।
और यहाँ के माहौल में घुला सुकून ।

-


26 AUG 2020 AT 12:33

दोपहर 🍂

-


22 JUL 2020 AT 21:43

-


9 JUL 2020 AT 12:09

जब तक सांसे चलती हैं……
ख्वाहिशें हमसफर बन साथ चलती हैं ,
सांसे उखड़ते ही.……
अधूरे ख्वाब झांकते हैं खुली आँखों से ।

-


Fetching Pratishtha Tripathi Quotes