उम्र ने जब तलाशी ली बचपन की, तो क्या पाया? एक मुट्ठी भर मासूमियत, कुछ बिखरे हुए रंग, कुछ टूटे हुए खिलौने, स्कूल के बाहर मिलने वाला चूरन, वो भारी सा स्कूल बैग, वो कार्टून वाले टिफिन बॉटल, वो लुका छुपी, पिट्टू, नदी पहाड़, वो एक उंगली की कट्टी और दो की दोस्ती, वो पेप्सी की चुस्की, वो बारिश में खेलना, वो कीचड़ में कूदना, वो अल्हड़पन, वो बचपना और... एक बहुत साफ दिल।
मैं लिख रही हूं, कुछ किस्से, कुछ बातें, कुछ बीती हुई यादें, सिर्फ पढ़ना नहीं, इन्हें सुन भी लेना, कुछ अनकहा, कुछ अनसुना, लिख रही हूं मैं अपने मन की बातें, और वो तेरी मेरी प्यार भरी यादें....
डर लगता है फिर से शुरुआत करने में, डर लगता है अब प्यार करने में, डर लगता है फिर से भरोसा करने में, डर लगता है थम जाने में, डर लगता है बढ़ जाने में, और सबसे ज्यादा डर लगता है फिर से धोखा खाने में।