तलाश किसी ऐसे की करो जो तुमसे थोड़ा मुख्तलिफ़ रहे
तुम ग़र दूर जाने को कहो तो वो तुम्हारे और करीब आए.. — % &-
Hum shayar toh nahi
Par apne jazbaton ko bakhubi likh ... read more
उसे पूरी कायनात से मुख़्तलिफ़ समझने की गलती की हमने
उसके मखौल को भी मोहब्बत मानने की गुस्ताखी की हमने..-
मुलाक़ात चाहे कितनों से हो पर हमारे मोहब्बत पे हक़ बस तुम्हारा होगा
सरकारें भले कितने बदल जाएं, पर इस दिल पर हुकूमत सिर्फ़ तुम्हारा होगा..-
सब कुछ सह लेते हैं पर तुमसे दूरी हमें बिल्कुल बर्दाश्त नहीं होती
जी लेता शायद बगैर तुम्हारे अगर तुम मेरे शरीक-ए-हयात नहीं होती..
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तुम्हें एहसास नहीं हुआ , पर तुम्हें भी हमारी आदत लग रही है
तुम चाहे लाख इन्कार करो , पर तुम्हें हमसे मोहब्बत हो रही है..-
दुआओं में उनके हम शामिल हो ना हो, मन्नतें हमारी बस उन्हीं के लिए होते हैं
खुदा के दर पर बन्दगी करें ना करें , इबादत में उनके अपना सर हमेशा झुकाते हैं..
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थोड़ी तकरार ना हो तो गुनाह-ए-मोहब्बत का सज़ा कैसा
पहले इन्कार ना हो तो फ़िर इज़हार-ए-इश्क़ में मजा कैसा..
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कौन कहता है जनाब , इज़हार-ए-इश्क़ सिर्फ़ लबों से हीं होते हैं
हमारी तो धड़कनें रुक सी जाती है , जब वो अपने निगाहों से इक़रार करते हैं...
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सुनो, तुम सिर्फ़ मेरे हो, तुम्हें कोई और देखे ये हमें बिल्कुल भी गवारा नहीं
मोहब्बत हो तुम हमारी, हर लड़की तुम्हें देख के मुस्कुराए ऐसे तुम कोई कैमरा तो नहीं..
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मुस्कुराता देख लो हमें कभी तो जान लेना ख़याल तुम्हारा होगा
अगर कभी देर तक सोएं हम तो समझ जाना ख्वाब तुम्हारा होगा..-