एक सिक्के के दो पहलू जैसे कि
हार
एक हार सबको पसंद तो दूसरा किसी को भी नहीं...
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शीशे की तरह जिंदगी थी
चकनाचूर हो गई ।
वज़ह ज़ख्म की बन नां जाउं
वक्त के हाथों ,
बस इसलिए राह से सबके
बस दूर हो गई...
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कबिरा, कबिरा जग कहे
कबिरा बनै न कोय।
मन मैला अपनों यहां
पर दूजों का धोय...
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कबिरा, कबिरा जग कहे
कबिरा बनै न कोय,
मन मैला अपनों यहां
पर दूधो कै धोय...
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ये गलतफहमी भी अजीब रोग है मुट्ठी भर धन कमाने वाले भी खुद को दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति मान लेते हैं....
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मौत भी कितनी हुनरमंद है जहां में
किसी को हंसाते हुए बुला लेती है किसी को रुलाते हुए...
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जमाना हमें छोड़ देता है मगर हम जमाने को कहां छोड़ पाते हैं।
सम्भलने की आदत है हमारी इसीलिए तो हरदम ठोकरों से नवाजे जाते हैं।-
संघर्ष से गिला नहीं होता बस सामर्थ्य की गुजारिश है,
हम भूलना भी चाहें तो याद आते रहना है यही तमन्ना बस दिल की यही ख्वाहिश है।-
आज हम कुम्भ स्नान कर मोक्ष की प्राप्ति की कामना करते हैं,
अरे सबकुछ संभव इसलिए हुआ है क्योंकि हमारे वीर सिपाही सीने पर गोलियां खाकर भी अपने देश की रक्षा हेतु दुश्मनों सामना करते हैं
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