Pratima Singh  
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Thinker
Joined 16 March 2022


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Joined 16 March 2022
8 JUL AT 13:07

एक सिक्के के दो पहलू जैसे कि
हार
एक हार सबको पसंद तो दूसरा किसी को भी नहीं...



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6 JUL AT 16:40

शीशे की तरह जिंदगी थी
चकनाचूर हो गई ।
वज़ह ज़ख्म की बन नां जाउं
वक्त के हाथों ,
बस इसलिए राह से सबके
बस दूर हो गई...









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5 JUL AT 16:15

कबिरा, कबिरा जग कहे
कबिरा बनै न कोय।
मन मैला अपनों यहां
पर दूजों का धोय...


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5 JUL AT 13:32

कबिरा, कबिरा जग कहे
कबिरा बनै न कोय,
मन मैला अपनों यहां
पर दूधो कै धोय...




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25 JUN AT 9:36

ये गलतफहमी भी अजीब रोग है मुट्ठी भर धन कमाने वाले भी खुद को दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति मान लेते हैं....




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22 JUN AT 10:30

सम्मान का चाह ही अभिमान की शुरुआत होती है....

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13 JUN AT 13:40

मौत भी कितनी हुनरमंद है जहां में
किसी को हंसाते हुए बुला लेती है किसी को रुलाते हुए...








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30 APR AT 16:29

जमाना हमें छोड़ देता है मगर हम जमाने को कहां छोड़ पाते हैं।
सम्भलने की आदत है हमारी इसीलिए तो हरदम ठोकरों से नवाजे जाते हैं।

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20 APR AT 22:25

संघर्ष से गिला नहीं होता बस सामर्थ्य की गुजारिश है,
हम भूलना भी चाहें तो याद आते रहना है यही तमन्ना बस दिल की यही ख्वाहिश है।

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28 JAN AT 21:50

आज हम कुम्भ स्नान कर मोक्ष की प्राप्ति की कामना करते हैं,
अरे सबकुछ संभव इसलिए हुआ है क्योंकि हमारे वीर सिपाही सीने पर गोलियां खाकर भी अपने देश की रक्षा हेतु दुश्मनों सामना करते हैं



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