चार कंधे तो मिल ही जाते हैं
आखरी सफर में जाने के लिए।
बस एक कंधा मिल जाए सुकून का
काफी है जिंदगी जीने के लिए।-
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ना शब्द थे उसके पास
ना भावनाएं बची थी,
लिखे कैसे दिल की दास्तां
जब कलम भी टूटी थी।
प्रतिमा ✍️-
जिंदगी भी कभी थक कर मेरे ही पास आ जाती है
और मुझे थोड़ा सा सुकून मिल जाता है।
प्रतिमा ✍️-
जीवन का हरपल खुशियों से भरा हो
गर आए मुश्किलें, आप सदा स्थिर रहो।
ना रुके,ना झुके बस आगे ही बढ़ते जाए
सफल हो हर कोशिश आपकी
आप सदा युं ही मुस्कुराए।
प्रतिमा ✍️-
बनो नदी की तरह,
किसी के सहारे बिना ही समंदर से जाकर मिलती है ।
जुनून हो अगर तुझमें भी
तेरा मंजिल भी तेरे लिए नामुमकिन नहीं है।
प्रतिमा ✍️-
सो जाना है एक दिन
मिट्टी पर, मिट्टी की ही चादर ओढ़ कर।
हो जाएंगे हम सब बेनाम
कोई कहानी या कोई दास्तां बनकर।
प्रतिमा-
मेरे आंसू भी बहते हैं उसी शख्स के लिए
जिसकी खुशी के लिए हम सब कुछ करने को तैयार है।
प्रतिमा ✍️
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बदल दिया तुमने मेरे वजूद को
आज हर शख्स यही कहता है
हम मुस्कुराते बहुत है।
प्रतिमा ✍️-
कितने ख्वाहिशों ने ना जाने क्यों दम तोड़ दिए,
दिल के आंगन को एक कब्रिस्तान बना कर चल दिए।
प्रतिमा ✍️-
हर रंग से रंग गई हूं आज मैं
पर जब तक लगा ना तेरे प्यार का रंग
अधूरी रह गई हूं मैं।
प्रतिमा ✍️-