सुनता सिसकियां वो रात में... मचलता करवटों के साथ में.... बिखर जाता संग जज़्बात में.... सहम जाता मेरे टूटे हालात में.... मुस्कुराता मेरे गले लगाने पर....तकिया जो सुन सकता, रखा मेरे सिरहाने पर.......
जब सुन नहीं पाते धड़कन हमारे दिल की... कैसे समझेंगे वो जज्बात क्या कहें... एक तिश्नगी थी आंखों में अब भीगते हैं जम कर... रुकती ना लगे ये अश्कों की बरसात क्या कहें.....!!
तेरे जाने के बाद मैं कभी चैन से सोया ही नहीं.... दर्द छुपा कर दिल में मुस्कुराता रहा... मैं पत्थर हो गया,कभी रोया ही नहीं ... तू आखरी नुकसान था मेरी जिंदगी का....तेरे बाद मैंने कुछ खोया ही नहीं ....!