ये कच्ची उम्र के प्यार भी बड़े पक्के निशान देते हैं । आज पे कम ध्यान देते हैं बहके बहके बयान देते हैं । उनको देखे हुए मुद्दत हुई ।(2) और हम अब भी जान देते हैं ।
ऐसे तो कोई नही जाता,जैसे तुम चले गये। क्यों इतना ग़म ,अपने दिल मे छिपा रखा था । कुछ तो कह दिया होता ,किसी को बता दिया होता या किसी से बाते ही कर ली होती, रो लेते कुछ भी कर लेते लेकिन ऐसे तो ना जाते। क्यों किया तुमने ऐसा।
तुम्हारी चाय में कोई जहर दे बस एक इंसान ही तो मरा हैं और वो चाय देने वाले तुम्हारे अपने लोग हो जिसपे तुम सबसे ज्यादा यक़ीन करते हो। क्या हुआ अगर एक हथनी ही तो मरी हैं क्या हुआ अगर हथनी के पेट मे पल रहा बच्चा मरा हैं। उसे मारने वाले तुम इंसान हो तुमने इंसानियत को मारा है। तुमने भरोसे को मारा है। आज इंसास और इंसानियत दोनो ही शर्म सार हैं। 4/6/2020