ओ हमारे प्राण प्रिय, ओ हमारे हृदय अंश
तुम हो अति विशेष, तुम हमारे प्रथम वंश
तुम जन्में और संग तुम्हारे जन्में और भी जन दो
ऊपजे हो तुम खुद जिनसे, हुए है जननी जनक जो
तन का रोम रोम उल्लासित, उल्लासित मन का हर अंश
ओ हमारे प्राण प्रिय, ओ हमारे हृदय अंश
यही कर्म बस अबसे हमारा तुमको सक्षम सबल बनाना
साधन नहीं साधना का तुमको है महत्व सिखाना
बतालाना है, क्या धर्म का मधुरस और क्या अधर्म का दंश
ओ हमारे प्राण प्रिय, ओ हमारे हृदय अंश
प्रतीक_पूजा व्यास
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