Pratik Vyas   (प्रतीक व्यास)
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Joined 14 January 2018


Joined 14 January 2018
9 FEB 2023 AT 14:18

मैंने बढ़ाया, दूसरा तुम बढ़ाओ
और इस एक एक कदम करके हम शुरू करें जीवन भर साथ चलने का सफर

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8 FEB 2023 AT 18:27

हमसे कहा नहीं जाता कुछ, वो बिन कहे समझता नहीं कुछ
उसको आँखे पढ़ना नहीं आती
पास आकर भी वो तेज़ धड़कनों की आवाज नहीं सुन पाता
बड़ा मुश्किल है प्यार करना
और उससे भी मुश्किल इज़हार करना

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3 FEB 2023 AT 14:58

ग़म, जुदाई, अश्क, तड़प
शायरी ने कभी मुझे कभी तन्हा नहीं छोड़ा

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18 OCT 2022 AT 15:31

हम अतीत को छोड़कर, वर्तमान में जीते है

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31 JUL 2022 AT 17:24

बेहतर है और क्या सोचना बुरा
हम आजकल बस यही सोचते है

सोचते है कि छोड़ो इस बात को सोचना
इतना क्या सोचना सब अच्छा ही होगा

फिर सोचते है कि एक दिन तो सोचना ही पड़ेगा


बस यूँ ही सोचते सोचते जिंदगी कट रही है

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30 JUL 2022 AT 23:01

हमने तेरा इंतजार किया है सुबह से

हम ही है जिसने तुझे सुंदर बनाए रखा है
तुझे हसीन ख्वाबो से जोड़कर

हम ही ने तेरे काले अंधेरे को
रोशन किया है चिराग जलाकर

वो हम ही है जो लोगो को बताते है
कि हर रात आती है एक नई सुबह लेकर

तेरी सारी बुराई को हमने
अच्छाई में बदल दिया है

अब तो कम से कम
रात हमारी भी खबर ले

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30 JUL 2022 AT 22:59

हमने तेरा इंतजार किया है सुबह से

हम ही है जिसने तुझे सुंदर बनाए रखा है
तुझे हसीन ख्वाबो से जोड़कर

हम ही ने तेरे काले अंधेरे को
रोशन किया है चिराग जलाकर

वो हम ही है जो लोगो को बताते है
कि हर रात आती है एक नई सुबह लेकर

तेरी सारी बुराई को हमने
अच्छाई में बदल दिया है

अब तो कम से कम
रात हमारी भी खबर ले

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16 JUL 2022 AT 20:48

बस मुस्कुराकर कोई अपना इतना ही कह दे
तो तसल्ली मिल जाती है कि हाँ चलो
वो ठीक है
जैसे हम ठीक ठाक है

वर्ना तो सबके
अपने अपने गम है
अपनी अपनी मुसीबत

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8 MAY 2022 AT 10:10

उस घर में कोई चिंता कहाँ होती है
कि जिस भी घर में जब माँ होती है

थकन कितनी भी हो उसे दिनभर की
हर रात बच्चों के बाद ही माँ सोती है

विश्व मातृ दिवस पर सभी माताओं को समर्पित

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10 APR 2022 AT 23:04

ओ हमारे प्राण प्रिय, ओ हमारे हृदय अंश
तुम हो अति विशेष, तुम हमारे प्रथम वंश

तुम जन्में और संग तुम्हारे जन्में और भी जन दो
ऊपजे हो तुम खुद जिनसे, हुए है जननी जनक जो
तन का रोम रोम उल्लासित, उल्लासित मन का हर अंश
ओ हमारे प्राण प्रिय, ओ हमारे हृदय अंश

यही कर्म बस अबसे हमारा तुमको सक्षम सबल बनाना
साधन नहीं साधना का तुमको है महत्व सिखाना
बतालाना है, क्या धर्म का मधुरस और क्या अधर्म का दंश
ओ हमारे प्राण प्रिय, ओ हमारे हृदय अंश


प्रतीक_पूजा व्यास

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