हज़ारों चक्कर लगाये थे मैंने उसके शहर के
कोई किस्मत वाला उसे सात फेरों में ही ले गया।-
....Ek azad parinda.....
"PART TIME WRITER BCZ ITZ MY HOBBY NOT PASSION"
हज़ारों चक्कर लगाये थे मैंने उसके शहर के
कोई किस्मत वाला उसे सात फेरों में ही ले गया।-
मंज़िल से गुमराह भी कर देते है कुछ लोग
हर किसी से रास्ता पूछना भी अच्छा नही होता।।-
मुझे तो लगा था सिर्फ लाफज़ें ही चोट करती हैं
मगर कुछ खामोशियों के ज़ख्म तो और भी
गहरे निकले-
टूटे हुए सपने और रूठे हुए अपनों ने ही
मार दिया
वरना ख़ुशी तो खुद हमसे मुस्कुराना सिखने
आया करती थी।।-
तरश गई हैं ये आंखें तेरी एक दीदार को
काश आखिरी बार कुछ देर और देख लिया होता।।-
खुद से जुदा हो कर मैंने पाया था तुमको
अब तुमसे जुदा हो कर खुद को पाना
मुश्किल से लगता है।।-
वो शक्श आज घबरा गया जब उसने मुझे
अपने सामने पाया
खाश बात तो ये है कि उसकी पलकें उठी नहीं
और हमारी झुकी नहीं।।।-
जिसके लिए ज़िन्दगी का हर लम्हा
बेगाना हो गया
वो सक्श अब किसी और का दीवाना हो गया-