शिक्षक म्हणजे....
अस्ताव्यस्त आयुष्याच्या फळ्यावर
उमटलेली ‘ऋणाक्षरे’
कधीही पुसता न येणारी....आजन्म!
— Pratik Jadhav
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Shayar | storyteller | blogger
आप ने देखा नहीं
आप के जाने के बाद
इन आँखों में आप ठहरे थे
— Pratik Jadhav-
One fateful day, she vanished behind the cloudy sky. Consequently he rained exhaustingly with all his burning heart, senses frozen.
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जब तुम छतपर ज़ुल्फ़ें सूखाती हो
तो हवाएँ बहकती हैं
मुस्कुराहट में छिपा इज़हार देख
शाम ये महकती है
— Pratik Jadhav
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हम भी किसीके रातों के ख़्वाब बन जाए
कोई ख़ामोशी कभी हमसे भी इज़हार करे
— Pratik Jadhav-
बचपन की सुनहरी यादों के दस्तूर में
आँखें आज नम सी हो गयी है.!
वो पेड़ों की आहट, मिट्टी की ख़ुशबू
वो बेपरवाह गुस्ताखियाँ फ़िज़ाओं में
कहीं ख़त्म सी हो गयी है.!
— Pratik_Jadhav-
दिल होकर भी
सीने में जिसके
“दिल" नहीं होता..
वो जिंदगी "जीने" में
शामिल नहीं होता..
—Pratik_Jadhav-
सुलगती धूप में “भीगना” जिसने सीखा है
उसके सामने “परवाना” भी फीका है
— Pratik_ Jadhav-
काश याददाश्त नाम की चीज ना होती
शायद बरदाश्त की इम्तिहाँ अज़ीज ना होती-